November 25, 2024
Punjab

मालवा नहर से दक्षिणी पंजाब में 2 लाख एकड़ भूमि की सिंचाई होगी: सीएम भगवंत मान

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने शनिवार को कहा कि निर्माणाधीन 150 किलोमीटर लंबी मालवा नहर राज्य के दक्षिणी हिस्से में लगभग 2 लाख एकड़ भूमि की सिंचाई जरूरतों को पूरा करेगी।

उन्होंने कहा कि यह स्वतंत्रता के बाद राज्य में बनाई जा रही पहली नहर है।

राज्य सरकार ने मार्च में राज्य बजट में नहर परियोजना का प्रस्ताव रखा था।

नहर के निर्माण कार्य का निरीक्षण करने के बाद एक जनसभा को संबोधित करते हुए मान ने कहा कि पिछली सरकारों ने राज्य की जरूरतों को नजरअंदाज किया, जिसके कारण भूजल का अत्यधिक दोहन हुआ और अधिकतर ब्लॉक डार्क जोन में तब्दील हो गए।

मान ने कहा कि नई नहर राज्य में, खास तौर पर मालवा क्षेत्र में, अभूतपूर्व प्रगति और समृद्धि के नए युग की शुरुआत करेगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस परियोजना पर करीब 2,300 करोड़ रुपये खर्च करेगी।

मान ने कहा कि यह उनके लिए एक स्वप्निल परियोजना है, जिसकी कल्पना उन्होंने मुख्यमंत्री बनने से पहले ही कर ली थी।

राज्य में शिरोमणि अकाली दल की अगुवाई वाली पिछली सरकारों पर हमला करते हुए मान ने कहा कि जो लोग हमेशा ‘पंथ’ के नाम पर वोट मांगते रहे हैं, उन्होंने कभी ऐसा कदम उठाने की जहमत नहीं उठाई। “ऐसी परियोजनाएं पहले क्यों नहीं शुरू की गईं?”

उन्होंने आरोप लगाया कि अकाली नेता ऐसी परियोजनाएं बनाने के बजाय अपने खेतों तक पानी पहुंचाने में अधिक रुचि रखते हैं, क्योंकि इन परियोजनाओं से आम आदमी की किस्मत बदल सकती है।

उन्होंने कहा कि ऐसे “जनविरोधी” रुख के कारण ही इन नेताओं को मतदाताओं ने खारिज कर दिया।

शिअद सांसद हरसिमरत कौर बादल पर कटाक्ष करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वह राज्य के पानी के लिए रॉयल्टी को लेकर मगरमच्छ के आंसू बहा रही हैं।

उन्होंने कहा कि 1970 के दशक से ही उनका परिवार राज्य की सत्ता पर काबिज रहा है, लेकिन उन्होंने कभी भी इस मुद्दे को कहीं नहीं उठाया।

उन्होंने कहा कि अब जब राज्य के लोगों ने उन्हें राजनीतिक गुमनामी में भेज दिया है, तब बादल परिवार ये मुद्दे उठा रहा है।

मोहाली स्थित लक्जरी होटल सुखविलास परियोजना का जिक्र करते हुए मान ने कहा, “मेरे पास इस परियोजना के कागजात हैं और मैं आने वाले दिनों में आपको इसके बारे में कुछ अच्छी खबर बताऊंगा।”

मुख्यमंत्री ने इस वर्ष फरवरी में आरोप लगाया था कि बादल परिवार ने अपने शासन के दौरान सुखविलास के लिए एक ‘अनुकूलित’ इको-पर्यटन नीति के तहत 108 करोड़ रुपये के कर माफ करवाए थे।

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