August 21, 2025
National

लोकसभा में मणिकम टैगोर का स्थगन प्रस्ताव, मतदाता सूची को लेकर चर्चा की मांग

Manikam Tagore’s adjournment motion in Lok Sabha, demand for discussion on voter list

कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने लोकसभा में एक स्थगन प्रस्ताव पेश कर मतदाता सूची में हेराफेरी, संवैधानिक संस्थाओं के दुरुपयोग और स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनावों पर खतरे को लेकर तत्काल चर्चा की मांग की है। इस प्रस्ताव में भारतीय निर्वाचन आयोग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं और इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताया गया है। टैगोर ने लोकसभा अध्यक्ष से इस मुद्दे पर विशेष सत्र बुलाने का आग्रह किया है, ताकि मतदाताओं के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की जा सके।

विपक्ष के नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा की गई एक महीने की जांच के आधार पर, मणिकम टैगोर ने दावा किया कि 2034 के आम चुनावों के दौरान बैंगलोर सेंट्रल लोकसभा क्षेत्र के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में फर्जी और डुप्लिकेट मतदाता सत्यापन के मामले सामने आए हैं। इसके अलावा, बिहार एसआईआर में भी मतदाता सूची में व्यापक गड़बड़ियों की बात उजागर हुई है। जांच में पाया गया कि बड़ी संख्या में जीवित मतदाताओं के नाम गलत तरीके से हटाए गए, गलत नियुक्तियां की गईं और उन्हें चुनाव आयोग की सूची से हटा दिया गया। यह सब सत्तारूढ़ दल को लाभ पहुंचाने के लिए जनसांख्यिकी में हेरफेर करने के उद्देश्य से किया गया।

कांग्रेस सांसद ने कहा कि प्रस्ताव में चुनाव आयोग की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल उठाए गए हैं। धारा 16 के तहत आयोग को दी गई कानूनी छूट, जो मुख्य चुनाव आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों को उनके कर्तव्यों के दौरान दीवानी या आपराधिक कार्यवाही से बचाती है, संवैधानिक सिद्धांतों को कमजोर करती है। यह प्रावधान कथित तौर पर आयोग के कदाचार को कानूनी संरक्षण देता है, जिससे जवाबदेही खत्म होती है और मतदाताओं के अधिकारों पर खतरा मंडराता है।

उन्होंने मांग की है कि कर्नाटक और बिहार में मतदाता सूची में हेराफेरी की न्यायिक या संसदीय जांच हो। साथ ही, हटाए गए मतदाताओं की पारदर्शी और सत्यापन योग्य सूची प्रस्तुत करने की जरूरत पर जोर दिया गया है।

उन्होंने 2023 के चुनावी कानून संशोधनों, विशेष रूप से धारा 11, की समीक्षा की मांग की है, जो आयोग को कानूनी छूट प्रदान करती है। इसके अलावा, चुनाव आयोग की निष्पक्षता और स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए स्वतंत्र नियुक्ति प्रक्रिया और संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता बताई गई है।

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