मनीषा ने झारखंड के रांची स्थित बिरसा मुंडा अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम में आयोजित दक्षिण एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 4×400 मीटर रिले स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता। वह हमीरपुर ज़िले की पहली एथलीट हैं, जिन्होंने यहाँ सिंथेटिक ट्रैक पर प्रशिक्षण लिया है और यह उपलब्धि हासिल की है।
मनीषा हमीरपुर के सुदूर उटपुर गाँव की रहने वाली हैं और एक साधारण परिवार से हैं। उनके पिता रमेश चंद ट्रक ड्राइवर हैं और उनकी माँ शीला देवी गृहिणी हैं। उन्होंने कई कठिनाइयों को पार करते हुए एक पुरस्कार विजेता एथलीट बनने का गौरव हासिल किया। ज़िला एथलेटिक्स संघ ने मनीषा को उनकी इस उपलब्धि के लिए बधाई दी और ज़िले में एथलेटिक्स और एथलीटों के विकास में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से योगदान देने वाले सभी खेल प्रशासकों, प्रशिक्षकों और समर्थकों का आभार व्यक्त किया।
पिछले दो सालों में मनीषा का प्रदर्शन शानदार रहा है। उन्होंने संगरूर में ओपन एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 400 मीटर स्पर्धा में 53.81 सेकंड का शानदार समय निकालकर स्वर्ण पदक जीता था और राष्ट्रीय टीम में जगह बनाई थी। उन्होंने 64वीं राष्ट्रीय अंतर-राज्यीय चैंपियनशिप में कांस्य पदक, खेलो इंडिया में 400 मीटर रिले में कांस्य पदक, अंडर-23 ओपन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में रजत पदक और अंतर-विश्वविद्यालय चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था।
मनीषा ने अपनी अंतरराष्ट्रीय जीत हिमाचल प्रदेश की सभी बेटियों को समर्पित की। उन्होंने कहा, “यह जीत हमारे राज्य की हर बेटी की है।” उन्होंने आगे कहा कि प्रतियोगिता से पहले उन्होंने पदक लाने का वादा किया था और उन्होंने उसे पूरा भी किया।
उन्होंने जिला एथलेटिक्स एसोसिएशन, हिमाचल प्रदेश एथलेटिक्स एसोसिएशन, अपने माता-पिता, मार्गदर्शकों और प्रशिक्षकों के प्रति आभार व्यक्त किया तथा कहा कि उनकी यात्रा के दौरान उन्हें निरंतर मार्गदर्शन और सहयोग मिला।
राष्ट्रीय एथलेटिक्स कोच भूपिंदर सिंह और डीएए खेल प्रेमियों के अध्यक्ष पंकज भारतीय ने कहा कि मनीषा की सफलता की कहानी हिमाचल प्रदेश में महत्वाकांक्षी एथलीटों के लिए प्रेरणा है, जबकि वह अपने स्वर्ण पदक का जश्न मना रही हैं।

