रोहतक की संरक्षण-सह-बाल विवाह निषेध अधिकारी करमिंदर कौर ने भावी दूल्हों और उनके माता-पिता को आगाह किया है कि नाबालिग (कम उम्र) लड़कियों से विवाह करने पर उन पर यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम लागू हो जाएगा।
अधिकारी ने चेतावनी दी कि इस तरह की शादियों के आयोजन में शामिल लोगों पर भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा, “कानून के अनुसार, 18 साल से कम उम्र की लड़की या 21 साल से कम उम्र के लड़के की शादी बाल विवाह मानी जाती है और यह दंडनीय अपराध है। इसके लिए दो साल तक की कैद और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। इसके अलावा, ऐसी शादियां कानूनी रूप से वैध नहीं हैं।”
कौर ने बताया कि पिछले वित्तीय वर्ष में बाल विवाह की नौ शिकायतें प्राप्त हुई थीं। इनमें से छह विवाहों को सफलतापूर्वक रोका गया, जबकि दो विवाह झूठे पाए गए और एक मामले में औपचारिक शिकायत दर्ज की गई। चालू वित्तीय वर्ष में अब तक ऐसी दो शिकायतें प्राप्त हुई हैं और दोनों विवाहों को रोका गया।
उन्होंने कहा, “पूरे साल बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं। इस साल भी अक्षय तृतीया के अवसर पर महिला एवं बाल विकास विभाग और एमडीडी ऑफ इंडिया संगठन द्वारा एक बड़ी जागरूकता पहल की गई।”
अधिकारी ने बताया कि मंदिरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों और चर्चों में बाल विवाह निषेध अधिनियम के बारे में जानकारी वाले फ्लेक्स बोर्ड लगाए गए हैं। उन्होंने बताया कि इन पूजा स्थलों पर धार्मिक नेताओं के साथ बैठकें की गई हैं, जिनमें उनसे अनुरोध किया गया है कि वे समाज में उनकी प्रभावशाली स्थिति को देखते हुए श्रद्धालुओं में जागरूकता बढ़ाएं।