लखनऊ, 19 मार्च । बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने एक बार बिना नाम लिए आकाश आनंद को चेताया। उन्होंने कहा कि मेरे लिए रिश्ते-नाते मायने नहीं रखते हैं। रिश्तों-नातों के चलते कभी पार्टी को कमजोर नहीं पड़ने दूंगी।
बसपा मुखिया मायावती ने सोमवार को अपने एक बयान में कहा कि मैं अभी तक की तरह, आगे भी अपने जीते जी अपने व्यक्तिगत तथा भाई-बहिन व रिश्ते-नातों आदि के स्वार्थ में कभी भी पार्टी को कमजोर नहीं पड़ने दूंगी। वैसे भी मेरे भाई-बहिन व अन्य रिश्ते-नाते आदि मेरे लिए केवल बहुजन समाज का ही एक अंग हैंं, उसके सिवाय कुछ भी नहीं। इसके अलावा, पार्टी व मूवमेंट के हित में बहुजन समाज के जो भी लोग ईमानदारी व निष्ठा से कार्य करते हैं, तो उन्हें पार्टी में जरूर आगे बढ़ने का मौका दिया जाएगा, इस मामले में मेरे रिश्ते-नाते आड़े नहीं आएंगे।
उन्होंने आगे कहा कि यूपी में बसपा की 2007 में पूर्ण बहुमत की सरकार बनने से पहले यहां जातिवादी उच्च वर्गों के लोगों के सामने ना तो चारपाई पर बैठ सकते थे और ना ही उनकी बराबर की कुर्सी पर भी बैठने की हिम्मत जुटा सकते थे। लेकिन सन् 2007 में बसपा की अकेले पूर्ण-बहुमत की सरकार बनने के बाद से अब यह सब काफी कुछ बदल गया है। वास्तव में यही सही “सामाजिक परिवर्तन” है। इससे यू.पी. में हमारे संतों, गुरुओं व महापुरुषों का सपना काफी हद तक साकार हुआ है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री बीच-बीच में अपनी खुद की गरीबी का तो जरूर उल्लेख करते रहते है, लेकिन इन्होंने दलित व अन्य उपेक्षित वर्गों के लोगों की तरह यहां कभी भी कोई जातीय भेदभाव नहीं झेला है, जो हमारे संतों, गुरुओं व महापुरुषों ने झेला है, जिसे अभी भी इनके अनुयायी काफी हद तक झेल रहें है।
बसपा मुखिया ने कहा कि इस समय संसद सत्र चल रहा है व वक्फ बिल पर भी सत्ता व विपक्ष द्वारा जो राजनीति की जा रही है, यह भी चिंता की बात है और यदि यह मामला समय रहते आम सहमति से सुलझा लिया जाता तो बेहतर होता। केंद्र सरकार को इस मामले में विचार करना चाहिए।
Leave feedback about this