मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने आज यहां विधानसभा में कहा कि यदि मेडिकल कॉलेज राजस्व जुटाने के लिए रोगी कल्याण सभाओं के माध्यम से नाममात्र उपयोगकर्ता शुल्क लगाना चाहते हैं तो राज्य सरकार को इसमें कोई आपत्ति नहीं है।
सुखू विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान नगरोटा बगवां के विधायक रघुबीर सिंह बाली द्वारा कांगड़ा के टांडा मेडिकल कॉलेज में फंड की कमी से जुड़े सवाल का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि चूंकि मेडिकल कॉलेज स्वायत्त निकाय हैं, इसलिए उनके प्रिंसिपल राजस्व जुटाने के लिए यूजर चार्ज लगा सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिमला स्थित इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) एवं अस्पताल तथा कांगड़ा स्थित टांडा मेडिकल कॉलेज सहित सभी मेडिकल कॉलेजों के लिए अलग-अलग बजटीय प्रावधान किया गया है तथा धन आवंटन में कोई भेदभाव नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा कि टांडा मेडिकल कॉलेज में आठ एक्स-रे मशीनें काम कर रही हैं, जबकि दो नई एक्स-रे मशीनें खरीदने की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने सदन को आश्वस्त किया कि सरकार टांडा मेडिकल कॉलेज में पुरानी लिफ्टों को बदलने के मुद्दे पर विचार करेगी, जो 20 साल पुरानी हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि टांडा मेडिकल कॉलेज में सीनियर रेजिडेंटशिप शुरू करने के बारे में किसी ने नहीं सोचा था और हम इस मुद्दे पर विचार करेंगे।
नाहन विधायक अजय सोलंकी के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह अजीब बात है कि भाजपा शासन के दौरान मेडिकल कॉलेज की स्थापना जिला अस्पताल के पास की गई, जहां विस्तार के लिए जगह नहीं थी। उन्होंने कहा कि अब मेडिकल कॉलेज के लिए कांशीवाला के नौणी का बाग में 117 बीघा जमीन चिन्हित की गई है।
उन्होंने कहा, “केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) और ठेकेदार निर्माण कार्य पूरा करने के लिए 370 करोड़ रुपये की मांग कर रहे हैं और मामला मध्यस्थता के अधीन है। जगह की कमी के कारण वर्तमान स्थल पर मेडिकल कॉलेज स्थापित करना संभव नहीं है। इसलिए, वहां निर्माण शुरू करने के लिए जल्द से जल्द भूमि अधिग्रहण करने की आवश्यकता है।”
पांवटा साहिब के विधायक सुख राम चौधरी के पूरक प्रश्न के उत्तर में मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान स्थल पर मेडिकल कॉलेज भवन पर 100.88 करोड़ रुपये पहले ही खर्च किए जा चुके हैं तथा मध्यस्थता के तहत मामला सुलझने के बाद इसका निर्माण पूरा कर लिया जाएगा।
सोलंकी ने कहा कि नाहन मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए भूमि की पहचान कर ली गई है और वन भूमि के डायवर्जन का मामला भी आगे बढ़ा दिया गया है। उन्होंने कहा, “भूमि आवंटन के लिए मंजूरी प्राप्त करने की प्रक्रिया में तेजी लाने की आवश्यकता है। जगह की कमी के कारण वर्तमान स्थल पर मेडिकल कॉलेज चलाना बहुत मुश्किल हो गया है।”
पांवटा साहिब के विधायक ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग, जो कि उपयोगकर्ता एजेंसी है, को भूमि आवंटन के लिए मंजूरी प्राप्त करने की प्रक्रिया में तेजी लानी चाहिए ताकि विस्तार की पर्याप्त गुंजाइश वाले नए स्थल पर एक मेडिकल कॉलेज बनाया जा सके।
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