संगरूर से आम आदमी पार्टी के लोकसभा सांसद गुरमीत सिंह मीट हेयर ने संसद में पूरक मांगों पर बोलते हुए कई महत्वपूर्ण मुद्दे और अनुदान संबंधी मांगें उठाईं।
मीत हेयर ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायकों को नियमित करने और उन्हें दिए जाने वाले मामूली मानदेय को बढ़ाने की मांग की। उन्होंने यह भी मांग की कि पंजाब के लिए घोषित 1,600 करोड़ रुपये के बाढ़ राहत पैकेज के अतिरिक्त, बाढ़ से हुए वास्तविक नुकसान की भरपाई के लिए 20,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त दिए जाएं। जनसंख्या वृद्धि का हवाला देते हुए और जनगणना न होने की स्थिति में, उन्होंने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत तत्काल नए राशन कार्ड जारी करने की भी मांग की। उन्होंने आगे कहा कि खेलों में अनुदान राज्यों को उनके खेल प्रदर्शन के आधार पर आवंटित किया जाना चाहिए।
“विकसित भारत” मॉडल पर कटाक्ष करते हुए मीत हेयर ने कहा कि वैश्विक भूख सूचकांक में भारत 123 देशों में से 102वें स्थान पर है। उन्होंने कहा कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता बच्चों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, फिर भी उनका शोषण होता है। केंद्र सरकार कार्यकर्ताओं को केवल 4,500 रुपये और सहायिकाओं को 2,250 रुपये देती है। उन्होंने सरकार से मांग की कि उनका मानदेय बढ़ाया जाए, एक स्थायी वेतन तय किया जाए और उनकी सेवाओं को नियमित किया जाए।
पंजाब में आई विनाशकारी बाढ़ का जिक्र करते हुए आम आदमी पार्टी के सांसद ने कहा कि राज्य को 20,000 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ है और बुनियादी ढांचा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने पंजाब के लिए 1,600 करोड़ रुपये के बाढ़ राहत पैकेज की घोषणा की थी, लेकिन अभी तक कुछ भी प्राप्त नहीं हुआ है। उन्होंने मांग की कि केंद्र सरकार घोषित बाढ़ राहत पैकेज के साथ-साथ तुरंत 20,000 करोड़ रुपये जारी करे।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन कार्डों की कमी का मुद्दा उठाते हुए मीत हेयर ने कहा कि कोविड-19 के कारण 2021 में जनगणना नहीं हो सकी और निकट भविष्य में भी इसके होने की कोई संभावना नहीं दिखती। उन्होंने कहा कि 2011 की जनगणना के अनुसार पंजाब में 1,41,45,000 राशन कार्ड जारी किए गए थे, जबकि जनसंख्या वृद्धि के कारण गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों की संख्या भी बढ़ गई है, जिसके चलते राज्य में राशन कार्डों की संख्या बढ़ाना आवश्यक हो गया है।
खेल अनुदानों में पंजाब के साथ हो रहे भेदभाव को उजागर करते हुए मीत हेयर ने कहा कि खेलो इंडिया अनुदानों में पंजाब को नजरअंदाज किया गया, जबकि गुजरात को 2024 में करोड़ों रुपये दिए गए। उन्होंने कहा कि गुजरात ने 2024 के पेरिस ओलंपिक में एक भी पदक नहीं जीता, जबकि पंजाब के आठ खिलाड़ियों ने हॉकी में पदक जीते। उन्होंने आगे कहा कि पंजाब में संसारपुर जैसे गांव हैं, जहां से कई पदक विजेता खिलाड़ी निकले हैं। उन्होंने मांग की कि राज्यों को उनके खेल प्रदर्शन के आधार पर खेल अनुदान आवंटित किए जाएं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत 2030 में राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी करने जा रहा है, लेकिन केंद्र सरकार ने इस बार पूरक अनुदानों में खेलों के लिए कोई मांग नहीं की है।


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