N1Live National छत्तीसगढ़ में भाजपा के लिए ‘मिशन 11’ है बड़ी चुनौती
National

छत्तीसगढ़ में भाजपा के लिए ‘मिशन 11’ है बड़ी चुनौती

'Mission 11' is a big challenge for BJP in Chhattisgarh

रायपुर, 17 दिसंबर । छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की पांच साल बाद सत्ता में वापसी हुई है और वह भी धमाकेदार तरीके से। आने वाले समय में होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा फिर बड़ी सफलता पाना चाहती है, मगर मिशन 11 किसी चुनौती से कम नहीं रहने वाला है।

भाजपा ने राज्य की 90 विधानसभा सीटों में से 54 पर जीत हासिल की है और उसकी एक बार फिर सत्ता में वापसी हुई है। राज्य की सत्ता की कमान विष्णु देव साय को सौंपी गई है, साथ में दो उपमुख्यमंत्री अरुण साव व विजय शर्मा बनाए गए हैं।

अब लोकसभा चुनाव में जीत कैसे हासिल की जाए, इस रणनीति पर भाजपा आगे बढ़ने की तैयारी में है। आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे को लेकर आगे बढ़ने का मन बना चुकी हैि राज्य के विधानसभा चुनाव में पार्टी को प्रधानमंत्री के चेहरे पर ही बड़ी सफलता मिली।

राज्य के वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव पर गौर करें तो यहां की 11 लोकसभा सीटों में से भाजपा नौ पर जीत दर्ज कर सकी थी, जबकि उसे दो सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था। अब पार्टी मिशन 11 को फतह करना चाहती है और उसी के मददेनजर विष्णु देव साव के नेतृत्व वाली सरकार विधानसभा चुनाव से पहले किए गए वादों को पूरा करने में जुट गई है।

राज्य के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव को उपमुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी मिल गई है इसलिए संभावना इस बात की जताई जा रही है कि अध्यक्ष पद की कमान किसी नए चेहरे को सौंपी जाएगी।

राज्य में कई बड़े नाम हैं जिनका प्रभाव तो है ही, जातीय समीकरण भी मायने रखते हैं। अध्यक्ष पद की कतार में जो नेता खड़े हैं उनमें विजय बघेल का नाम सबसे ऊपा है। वह पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ पाटन विधानसभा से चुनाव लड़े थे।

इसके अलावा पूर्व आईएएस अधिकारी और विधायक ओपी चौधरी भी बड़े दावेदारों में शामिल हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि चौधरी को चुनाव जिताईए, मैं उन्हें बड़ा आदमी बना दूंगा।

राज्य में आधी आबादी के प्रतिनिधित्व के साथ आदिवासी को भी कमान सौंपे जाने की संभावना जताई जा रही है। रेणुका सिंह और लता उसेंडी के नाम इसमें सबसे ऊपर हैं। वहीं सामान्य वर्ग से सांसद सरोज पांडे भी इस पद की बड़ी दावेदार मानी जा रही हैं, क्योंकि मुख्यमंत्री आदिवासी वर्ग से बन चुका है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य में भाजपा को विधानसभा में मिली सफलता से कार्यकर्ता से लेकर नेता तक उत्साहित हैं और आगामी लोकसभा चुनाव राज्य सरकार के फैसलों और केंद्र सरकार की उपलब्धियां के सहारे लड़ा जाएगा और इसमें चेहरा प्रधानमंत्री मोदी ही रहेंगे।

दूसरी ओर कांग्रेस के पास ऐसा कोई चेहरा नहीं है जिसके चलते कार्यकर्ता उत्साहित हों। इतना ही नहीं, विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के अंदर मचे घमासान के बाद एकजुट होना आसान भी नहीं है।

Exit mobile version