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‘मिशन लाइफ’ सतत विकास की जरूरतों को पूरा कर सकता है : संयुक्त राष्ट्र अधिकारी

'Mission Life' can meet sustainable development needs: UN official

संयुक्त राष्ट्र, संयुक्त राष्ट्र सहायक महासचिव लिगिया नोरोन्हा के अनुसार, भारत द्वारा शुरू किया गया जीवनशैली जन आंदोलन ‘मिशन लाइफ’ सतत विकास की जरूरतों को पूरा कर सकता है।

सोमवार को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में ‘मिशन लाइफ’ की स्मृति में एक विशेष कार्यक्रम में उन्होंने कहा, “हम ‘मिशन लाइफ’ को टिकाऊ जीवनशैली के साथ जुड़कर बेहतर कल के लिए उपभोग का उपयोग करने के अवसर के रूप में देखते हैं।”

‘मिशन लाइफ’ पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस द्वारा जीवनशैली में बदलाव और सतत विकास को बढ़ावा देने और जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए व्यक्तिगत और सामुदायिक कार्रवाई के लिए शुरू किया गया था।

भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि ‘मिशन लाइफ’ संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों के साथ पूरी तरह से मेल खाता है और यह इस बात का प्रमाण है कि कैसे व्यक्तिगत जिम्मेदारी पूरे ग्रह के लिए एक स्थायी भविष्य को बढ़ावा दे सकती है।

उन्होंने कहा कि इसका महत्व तब है जब ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से निपटने के लिए सीओपी28 जलवायु शिखर सम्मेलन हो रहा है।

उन्होंने कहा, ‘मिशन लाइफ’ पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने में एक महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में व्यक्तिगत विकल्पों और वैश्विक सहयोग का तालमेल जोड़ता है।

कंबोज ने कहा, ”गुटेरेस द्वारा इस पहल के शक्तिशाली समर्थन में राष्ट्रीय सीमाओं से परे बदलाव को प्रेरित करने की क्षमता है, जिससे अधिक स्थिरता प्रैक्टिस की दिशा में विश्वव्यापी आंदोलन को बढ़ावा मिलेगा।”

नोरोहना ने कहा कि एक सर्वेक्षण से पता चला है कि अधिक से अधिक नागरिक जलवायु परिवर्तन के बारे में चिंताओं और स्थिरता के मुद्दों के साथ अपने जीवन को जोड़ते हैं। साथ ही कहा, ”मुझे लगता है कि हमें वास्तव में एक सामूहिक आंदोलन के इर्द-गिर्द एक ‘मिशन लाइफ’ बनाने के लिए इन सभी को एक साथ लाने की जरूरत है जो इसे आगे बढ़ा सके।”

नोरोन्हा ने कई सवाल उठाए जैसे कि प्रकृति के साथ प्रदूषण मुक्त दुनिया में रहने के लिए किस प्रकार का कितना उपभोग संभव है, उपभोक्ता को समानता और निष्पक्षता तथा मूल्य सुनिश्चित करने के लिए किस प्रकार के मानदंडों की आवश्यकता है

और दुनिया में उपभोग के बेहद असमान पैटर्न के मुद्दे का समाधान कैसे किया जाए।

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