नई दिल्ली, मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एमएमआरसीएल) ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि मुंबई के आरे वन क्षेत्र में कोई पेड़ नहीं काटा गया है, बल्कि कुछ झाड़ियों और शाखाओं को हटाया गया है।
याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता चंद्र उदय सिंह ने न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस के साथ न्यायमूर्ति यू. यू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष दलीलें रखीं। उन्होंने कहा कि मेट्रो कार शेड परियोजना के लिए आरे वन क्षेत्र में यथास्थिति के आदेश के बावजूद पेड़ों की कटाई फिर से शुरू कर दी गई है।
पीठ ने कहा कि मामले पर विस्तार से सुनवाई की जरूरत है। पीठ ने कहा, “हम क्या करेंगे., हम यथास्थिति का आदेश देंगे।”
एमएमआरसीएल का प्रतिनिधित्व करने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रस्तुत किया कि क्षेत्र में कोई पेड़ नहीं काटे जा रहे हैं और 2019 में शीर्ष अदालत द्वारा यथास्थिति के आदेश पारित किए जाने के बाद, कोई पेड़ नहीं काटा गया है।
उन्होंने आगे कहा कि इस क्षेत्र में झाड़ियां, खरपतवार उग गए थे, जिन्हें संबंधित प्राधिकरण द्वारा हटाया जा रहा है। मेहता ने इस बात पर जोर दिया कि मामले में एमएमआरसीएल द्वारा दायर हलफनामे का हवाला देते हुए केवल कुछ शाखाओं की ट्रिमिंग की गई है।
मेहता ने कहा, “यदि जनहित याचिकाएं भ्रामक आरोपों के साथ दायर की जाती हैं, तो यह गलत होगा।” इस पर पीठ ने जवाब दिया कि जनहित याचिका होने के फायदे हैं। सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति ललित ने बताया कि वह टी. एन. गोदावर्मन थिरुमलपद मामले में एक न्याय मित्र (एमिकस क्यूरी) थे और पूछा कि क्या इस मामले की सुनवाई में हितों का कोई टकराव था। मेहता ने कहा कि उन्हें कोई संघर्ष नहीं दिखता।
जस्टिस ललित ने कहा, “मैंने पिछले आठ सालों से (सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में) कोई वन से जुड़ा मामला नहीं सुना है।”
पीठ ने कहा कि एमएमआरसीएल द्वारा उठाए गए इस रुख के मद्देनजर, मामले में किसी भी अंतरिम आदेश को पारित करने की कोई आवश्यकता नहीं है और एमएमआरसीएल की प्रतिक्रिया को रिकॉर्ड में लिया कि 2019 में शीर्ष अदालत के यथास्थिति के आदेश के बाद से कोई पेड़ नहीं काटा गया है। मामले की अगली सुनवाई अगले सप्ताह निर्धारित की गई है।
शीर्ष अदालत ने 2019 में आरे कार शेड प्रोजेक्ट के लिए क्षेत्र में पेड़ों की कटाई के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों का स्वत: संज्ञान लिया था। मेहता ने एक वचन दिया था कि पेड़ों की कोई ताजा कटाई नहीं की जाएगी, इसके बाद सुनवाई की अगली तिथि तक 7 अक्टूबर, 2019 को यथास्थिति का आदेश दिया गया था। यथास्थिति के आदेश को समय-समय पर बढ़ाया गया है।