नई दिल्ली, 2 अक्टूबर । केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने ग्रामीण विकास योजनाओं में भेदभाव के टीएमसी सरकार के आरोपों को खारिज करते हुए ममता बनर्जी से 17 सवाल पूछे हैं। पश्चिम बंगाल सरकार के मनरेगा और आवास योजना की निधि के बकाये की मांग को लेकर तृणमूल कांग्रेस देश की राजधानी दिल्ली में केंद्र सरकार के रवैये के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रही है।
लेकिन, केंद्र सरकार ने ममता सरकार के आरोपों को पूरी तरह से गलत बताते हुए यह दावा किया है कि वर्तमान एनडीए सरकार के कार्यकाल में पश्चिम बंगाल सरकार को ग्रामीण विकास योजनाओं के लिए यूपीए की मनमोहन सिंह सरकार की अपेक्षा अधिक राशि आवंटित की गई है।
मोदी सरकार की तरफ से केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने बिहार में एक महत्वपूर्ण प्रेस कान्फ्रेंस कर आंकड़ों को सामने रखते हुए ममता सरकार के आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हुए कई गंभीर आरोप भी लगाए।
उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल के विकास के प्रति प्रतिबद्ध, मोदी सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा पश्चिम बंगाल को पिछले 9 सालों में 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि आवंटित की गई जबकि यूपीए सरकार के दौरान यह राशि केवल 58 हजार करोड़ रुपये थी।
सिंह ने मनरेगा जैसी स्कीम में पश्चिम बंगाल को पिछले 9 सालों में 54 हजार करोड़ रुपये से अधिक राशि देने का दावा करते हुए यह भी कहा कि यूपीए के समय यह आंकड़ा सिर्फ 14,900 करोड़ रुपये ही था। उन्होंने ममता सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य में 25 लाख जाली मनरेगा जॉब कार्ड जारी किए गए, जिससे करोड़ों के सरकारी धनराशि का गबन हुआ। लेकिन, पश्चिम बंगाल सरकार केंद्र सरकार के साथ जांच में सहयोग नहीं कर रही है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत यूपीए सरकार के दौरान जहां सिर्फ 5,400 करोड़ रुपये खर्च हुए वहीं मोदी सरकार में दोगुने से अधिक 11 हजार करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत यूपीए सरकार के दौरान सिर्फ 4,400 करोड़ रुपये खर्च हुए, जबकि मोदी सरकार ने बंगाल को 30 हजार करोड़ रुपये दिये। केंद्र सरकार ने ममता सरकार के आरोपों को खारिज करते हुए उनसे 17 गंभीर सवाल भी पूछे हैं।
मोदी सरकार ने पूछा कि क्या यह सच नहीं है कि मोदी सरकार ने मनरेगा के तहत पिछले 9 सालों में 54 हजार करोड़ रुपये से अधिक रिलीज किये हैं, मगर यूपीए सरकार ने मात्र 14 हजार करोड़ रुपये दिये थे ? क्या यह सच नहीं है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मोदी सरकार ने 30 हजार करोड़ रुपये मकान बनाने के लिए खर्च किये, जबकि यूपीए सरकार ने सिर्फ 4,400 करोड़ रुपये खर्च किये थे ?
क्या यह सच नहीं है कि पिछले 9 सालों में पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए मोदी सरकार ने करीबन 45 लाख आवास बनाये, जबकि यूपीए सरकार में सिर्फ 15 लाख आवास बने ? क्या यह सच नहीं है कि मोदी सरकार में ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा पिछले 9 सालों में 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च किये गये, जबकि यूपीए सरकार में यह आकड़ा महज 58 हजार करोड़ रुपये था ?
क्या यह सच नहीं है कि ममता बनर्जी अपनी सिंडिकेट राजनीति को बचाने के लिए गरीब जनता को बहलाकर-फुसलाकर दिल्ली ला रही है, जिससे वह अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा पूरी कर सके ? क्या यह सच नहीं है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अपात्र लाभार्थियों को आवास दिया गया ? क्या यह सच नहीं है कि 22 जनवरी, 2023 को एक अखबार ने अपने फ्रंट पेज पर एक फोटो छापा था, जहां दो मंजिले हवेली के मालिक को भी प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर मुहैया कराया गया था ?
क्या यह सच नहीं है कि पश्चिम बंगाल के पूर्व वर्धमान, उत्तर 24 परगना तथा दक्षिण 24 परगना जिलों में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत अपात्र परिवारों को सहायता प्रदान की गयी ? क्या यह सच नहीं है कि प्रधानमंत्री आवास योजना स्कीम का नाम बदलकर आपने राज्य सरकार में इसे बांग्ला आवास योजना के रूप में दिखाते हुए लोगों को भ्रमित करने की कोशिश की ?
क्या यह सच नहीं है कि भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के बारे में ग्रामीण विकास मंत्रालय कई बार पश्चिम बंगाल सरकार से सवाल-जवाब करते हुए एटीआर की मांग कर चुका है, मगर कभी राज्य सरकार ने संतोषजनक जवाब नहीं दिया ?
क्या यह सच नहीं है कि जब भी केन्द्र की टीम दौरे के लिए पश्चिम बंगाल जाती थी तो उनके साथ सहयोग नहीं किया जाता था ? क्या यह सच नहीं है कि राज्य सरकार से कई बार यह अनुरोध किया गया है कि वह भ्रष्ट अधिकारी और भ्रष्ट मंत्रियों के खिलाफ एक्शन ले, मगर राज्य सरकार इसमें हमेशा फेल रही है ?
क्या यह सच नहीं है कि मनरेगा के तहत गैर अनुमेय कार्य किये गये, लेकिन ऐसे कार्यों की वसूली नहीं की गयी ? क्या यह सच नहीं है कि मनरेगा के पैसे का इस्तेमाल चाय फैक्ट्री ईस्टेट की निजी भूमि पर इस्तेमाल कर प्राइवेट लोगों को फायदा पहुंचाया गया ?
क्या यह सच नहीं है कि मनरेगा में सभी अनियमितताओं के खिलाफ भारत सरकार ने कई बार पश्चिम बंगाल से एटीआर की मांग की, मगर वह कभी संतोषजनक रूप से उपलब्ध नहीं करवा पाये ? हमने पश्चिम बंगाल सरकार के साथ सहयोग करने के लिए कई बार सेन्ट्रल टीम को पश्चिम बंगाल भेजा, मगर राज्य सरकार सहयोग करने को कभी तैयार नहीं रही ?