पटना, 26 फरवरी । बिहार की राजधानी पटना में आयोजित एक सेमिनार में देश के विभिन्न प्रान्तों से होम्योपैथिक के 500 से अधिक चिकित्सक सम्मिलित हुए। इस दौरान कहा गया कि यह एक ऐसी चिकित्सा पद्धति है, जिससे 80 प्रतिशत मरीजों को पूरी तरह स्वस्थ किया जा सकता है।
सेमिनार में मुख्य अतिथि के रूप में दिलमणी देवी एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में सीसीएच के पूर्व अध्यक्ष डॉ. रामजी सिंह, डॉ. एम के साहनी तथा बिहार विश्वविद्यालय के डीन डॉ. भरत सिंह मौजूद रहे।
मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय होम्योपैथिक संस्थान भारत सरकार के निदेशक डॉ. सुभाष सिंह एवं बैंगलोर के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. बी.टी. रुद्रेश ने बांझपन बीमारी पर विस्तार से चर्चा की। चिकित्सकों ने कहा कि उच्च रक्तचाप, थायराइड, मधुमेह जैसी लाइलाज बीमारियों का भी इलाज होम्योपैथिक से है। लिवर, किडनी व कैंसर जैसे रोगों का भी उपचार है।
चिकित्सकों ने कहा कि बीमारी के लक्षण, रोगी की मानसिक प्रवृत्तियां व शारीरिक संरचना को कई चिकित्सक भूल जाते हैं।
चिकित्सकों का मानना है कि जो होम्योपैथ हैनिमेन के मूल सिद्धांतों का पालन करते हैं, उन्हें सफलता जरूर मिलती है। एक ही रोग से पीड़ित अलग-अलग रोगियों को उनकी प्रकृति और लक्षणों के आधार पर अलग-अलग दवा की जरूरत होती है।
इस सेमिनार में पटना होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. राकेश कुमार, डॉ. संजीव कुमार सिंह सहित बिहार के सभी होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य मौजूद रहे।