राज्यसभा सांसद डॉ. विक्रमजीत सिंह साहनी ने मानवाधिकार दिवस के अवसर पर बंदी सिखों की रिहाई की अपनी लंबे समय से चली आ रही मांग को दोहराया। डॉ. साहनी ने कहा कि उनमें से कई लोग 30 साल से अधिक समय जेल में बिता चुके हैं, और उन्हें बार-बार पैरोल देने से भी इनकार कर दिया गया है।
उन्होंने आगे कहा कि देविंदर पाल सिंह भुल्लर, जिन्होंने जेल में तीन दशक पूरे कर लिए हैं और मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं, की लंबित माफी याचिका पर भी समीक्षा जारी है। वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर संसद में बोलते हुए डॉ. विक्रमजीत सिंह साहनी ने इस बात पर जोर दिया कि सिख समुदाय हमेशा से भारत के सम्मान और एकता की रक्षा में अग्रणी रहा है।
उन्होंने कहा, “स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों से लेकर हमारी सीमाओं की रक्षा करने वाले सैनिकों तक, सिखों ने बलिदान और सेवा के माध्यम से वंदे मातरम की भावना को जिया है। हमारे गुरुओं ने हमें सदा सद्भाव बनाए रखने, घृणा को त्यागने और कमजोरों की रक्षा करने की शिक्षा दी है। अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करना केवल संवैधानिक कर्तव्य नहीं है, बल्कि यह भारत की आत्मा है।”

