September 11, 2025
Chandigarh

सांसद सतनाम संधू ने सरकार से स्वतंत्रता आंदोलन की प्रदर्शनियों में गदर पार्टी और इंडिया होम रूल लीग को सम्मानित करने का आग्रह किया

चंडीगढ़, 28 मार्च, 2025: राज्यसभा सांसद सतनाम सिंह संधू ने भारत के गौरवशाली स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाने वाली गदर पार्टी और इंडिया होम रूल लीग की विरासत को प्रदर्शित करने का मुद्दा उठाया है। केंद्र सरकार द्वारा अमेरिका और अन्य देशों से वापस आई भारतीय प्राचीन वस्तुओं को प्रदर्शित करने के लिए बनाए जा रहे संग्रहालयों और प्रदर्शनी केंद्रों में गदर पार्टी और इंडिया होम रूल लीग की विरासत को प्रदर्शित करने का मुद्दा उठाया है।

संसद के चल रहे बजट सत्र के दौरान प्रश्नकाल में केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से सवाल पूछते हुए राज्यसभा सांसद सतनाम सिंह संधू ने यह भी पूछा कि क्या केंद्र सरकार यंग इंडिया और गदर जैसे ऐतिहासिक पत्रों को पुनः प्रकाशित करने और उन्हें डिजिटल संस्करणों के माध्यम से नई पीढ़ी के लिए सुलभ बनाने की योजना बना रही है। 

संधू ने राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान पूरक प्रश्न पूछते हुए कहा, “भारत के गौरवशाली स्वतंत्रता संग्राम में इंडिया होम रूल लीग (आईएचआरएल) और गदर पार्टी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1916 में न्यूयॉर्क में लाला लाजपत राय द्वारा स्थापित आईएचआरएल ने यंग इंडिया पत्रिका के माध्यम से स्वशासन, आत्मनिर्भरता और राष्ट्रीय चेतना के बारे में जागरूकता फैलाने का काम किया। इसी तरह, गदर पार्टी ने अपने अखबार गदर के माध्यम से पूरी दुनिया में ब्रिटिश शासन के खिलाफ क्रांति की भावना जगाई।” 

अमेरिका से तस्करी कर देश से बाहर ले जाई गई 297 भारतीय पुरावशेषों की वापसी के बारे में पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए केन्द्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि 1970 में अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन के बावजूद 1955 से 2014 के बीच केवल 13 पुरावशेष ही भारत लौटे, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भारतीय विरासत पर गर्व करने के संकल्प के कारण 2014 से अब तक लगभग 11 वर्षों में देश के लिए महत्वपूर्ण 642 से अधिक पुरावशेष देश में वापस आ चुके हैं।

“तो यह हम सबके लिए गर्व की बात है। विदेश से पुरातात्विक महत्व की ऐसी किसी भी पुरावशेष को भारत लाने की एक बहुत लंबी प्रक्रिया होती है, जिसमें हमें उसका उद्गम स्थल, उसका ऐतिहासिक महत्व और उसका उद्गम सिद्ध करना होता है। उद्गम सिद्ध करने के बाद ही उसका इस तरह से प्रत्यावर्तन किया जा सकता है। उस प्रक्रिया को पूरा करने के बाद, 297 वस्तुओं को भारत (2024 में अमेरिका से) लाया गया है। उनका विस्तृत सत्यापन, स्थिति रिपोर्ट और सब कुछ तैयार किया जा रहा है। लेकिन एक बार उनका उद्गम पूरी तरह से स्थापित हो जाने और पूरा अध्ययन हो जाने के बाद, यह एक सामान्य प्रक्रिया है कि उन्हें राज्यों में स्थित संग्रहालयों में प्रदर्शन के लिए रखा जाता है।”

शेखावत ने कहा कि संसद परिसर में विदेश से लाई गई 13 ऐसी मूर्तियां भी स्थापित की गई हैं। 

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वर्तमान में विभिन्न देशों के साथ 72 ऐसी प्राचीन वस्तुओं को भारत को लौटाने की प्रक्रिया चल रही है, जिनमें ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, फ्रांस, इटली, नीदरलैंड और सिंगापुर शामिल हैं।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि भारत ने अमेरिका-भारत सांस्कृतिक संपदा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसका उद्देश्य पुरावशेषों के अवैध व्यापार को रोकना, देश से तस्करी कर लाए गए भारतीय पुरावशेषों को वापस लाना है तथा विश्व के अन्य देशों के साथ भी समझौते करने के प्रयास किए जा रहे हैं। 

शेखावत ने कहा कि भारतीय पुरावशेषों की तस्करी को रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 2024 में अमेरिका के साथ यह समझौता किया गया है।

उन्होंने कहा कि इस समझौते से अमेरिका से प्राचीन वस्तुओं को भारत वापस लाने में काफी मदद मिली है, क्योंकि अमेरिका भारत में ऐसी संपत्तियों का सबसे बड़ा बाजार है और यह ऐसी प्राचीन वस्तुओं का काला बाजार भी है। 

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पहले भारतीय अधिकारियों को ऐसे मामलों में अमेरिका में कई एजेंसियों से निपटना पड़ता था, लेकिन अब इस प्रक्रिया में न्यूनतम बाधाएं आती हैं और सरकार अब ऐसी प्राचीन वस्तुओं को अधिक सुविधा के साथ भारत वापस ला सकती है।

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