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हिमाचल की 10 तहसीलों में ‘माई डीड’ परियोजना शुरू, भूमि पंजीकरण आसान होगा

'My Deed' project started in 10 tehsils of Himachal, land registration will become easier

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज राज्य की 10 तहसीलों में ‘माई डीड’ पायलट परियोजना का शुभारंभ किया, जिससे लोगों के लिए ज़मीन की रजिस्ट्री आसान और सुविधाजनक हो गई है। उन्होंने यहाँ ‘माई डीड’ परियोजना का शुभारंभ करते हुए कहा, “अब राज्य के नागरिकों को अपनी ज़मीन की रजिस्ट्री करवाने के लिए केवल एक बार राजस्व कार्यालय जाने की आवश्यकता नहीं है। वे कभी भी और कहीं से भी ज़मीन की रजिस्ट्री के लिए आवेदन कर सकते हैं, जिससे उनका समय और मेहनत बचेगी।”

यह परियोजना बिलासपुर सदर, डलहौजी (चंबा), जालोर (हमीरपुर), जयसिंहपुर (कांगड़ा), भुंतर (कुल्लू), पधर (मंडी), कुमारसैन (शिमला), राजगढ़ (सिरमौर), कंडाघाट (सोलन) और बंगाणा (ऊना) में 10 स्थानों पर शुरू की गई।

उन्होंने कहा, “सेवाओं को बेहतर बनाने, लोगों की मदद करने, पारदर्शिता लाने और राजस्व सेवाओं को और अधिक कुशल बनाने के लिए तकनीक का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। हमें एक ऐसी व्यवस्था की ओर बढ़ना चाहिए जो कागज़ रहित, उपस्थिति-रहित और नकदी-रहित हो ताकि लोग घर बैठे ही सरकारी सेवाएँ प्राप्त कर सकें।”

सुक्खू ने राजस्व विभाग के कामकाज में सुधार लाने और प्रक्रिया को और अधिक जन-अनुकूल व आसान बनाने के लिए “जमाबंदी”, ई-रोज़नामचा वाकया और “कारगुज़ारी” पहलों का एक नया प्रारूप भी लॉन्च किया। उन्होंने कहा कि नए “जमाबंदी” प्रारूप को मूल हिंदी और उर्दू में सरल बनाया गया है और अरबी-फ़ारसी को हटा दिया गया है ताकि आम लोग भूमि रिकॉर्ड आसानी से समझ सकें। ई-रोज़नामचा वाकया पटवारियों को दैनिक गतिविधियों का डिजिटल रिकॉर्ड रखने में मदद करेगा, जबकि “कारगुज़ारी” का उपयोग ऑनलाइन दैनिक उपस्थिति दर्ज करने के लिए किया जाएगा।

उन्होंने राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) और डिजिटल प्रौद्योगिकी एवं शासन विभाग को राजस्व सेवाओं को और अधिक कुशल एवं जन-अनुकूल बनाने के लिए विभिन्न डिजिटल मॉड्यूल पर काम में तेज़ी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने एनआईसी को 15 दिनों के भीतर एक ऑनलाइन म्यूटेशन मॉड्यूल विकसित करने के लिए भी कहा ताकि म्यूटेशन के पंजीकरण में तेज़ी लाई जा सके और उन्हें सीधे “जमाबंदी” रिकॉर्ड से जोड़ा जा सके।

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