शिमला, 10 जून भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने आज नई दिल्ली में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली। कैबिनेट मंत्री के रूप में नड्डा के शामिल होने से अनुराग ठाकुर की मंत्री पद पाने की उम्मीदों को झटका लगा है।
एनडीए सरकार के पिछले कार्यकाल में ठाकुर सूचना एवं प्रसारण मंत्री थे। हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से लगातार पांचवीं बार चुनाव जीतने वाले और प्रधानमंत्री तथा अमित शाह के काफी करीबी माने जाने वाले ठाकुर को इस बार भी मंत्री पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा था।
हालांकि, भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने नड्डा को उनके ऊपर तरजीह दी है। और यह बेहद असंभव है कि इस छोटे से राज्य से दो मंत्री होंगे, जिसके पास सिर्फ़ चार लोकसभा सीटें हैं। इस बात को लेकर अफ़वाहें पहले से ही तेज़ हैं कि ठाकुर को बाहर रखने की क्या वजह हो सकती है, जिनका खेल प्रशासक और राजनेता के तौर पर पिछले एक दशक में उदय शानदार रहा है।
कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि हाल ही में हुए संसदीय चुनाव और विधानसभा उपचुनाव के नतीजों से शायद सही संकेत नहीं मिले हैं, भले ही उन्होंने अपनी सीट पर शानदार अंतर से जीत दर्ज की हो। अपने गृह विधानसभा क्षेत्र सुजानपुर से ठाकुर ने सबसे ज़्यादा अंतर से जीत दर्ज की, लेकिन इस सीट पर बीजेपी उम्मीदवार राजिंदर राणा को हार का सामना करना पड़ा।
ठाकुर के पिता प्रेम कुमार धूमल और राणा (राणा ने 2017 के विधानसभा चुनावों में धूमल को हराया था) के बीच के इतिहास ने परिणाम को और भी जटिल बना दिया है। हालांकि, यह भी एक तथ्य है कि धूमल और ठाकुर दोनों ने राणा के लिए काफी व्यापक रूप से प्रचार किया।
हमीरपुर के एक निवासी ने कहा, “राणा की हार का कारण किसी और चीज से ज्यादा इस क्षेत्र में ‘एक वोट पीएम और एक वोट सीएम के लिए’ का नारा हो सकता है। आखिरकार सीएम भी इसी संसदीय क्षेत्र से आते हैं।”
मंत्री पद से चूकने के बाद 49 वर्षीय ठाकुर के लिए क्या इंतजार है? भाजपा सूत्रों की मानें तो ठाकुर को राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी में अहम पद मिल सकता है।
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