वाशिंगटन, द्वितीय विश्व युद्ध के एक विमान के मलबे की तलाश कर रहे एक टीवी वृत्तचित्र दल ने 36 साल पहले नष्ट हुए अंतरिक्ष यान चैलेंजर आर्टिफैक्ट को खोज निकाला। 1986 में हुए हादसे एक स्कूल शिक्षक सहित सात अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई थी। गोताखोरों ने समुद्र तल पर आंशिक रूप से रेत से ढकी एक बड़ी ‘मानव निर्मित’ वस्तु देखी। वृत्तचित्र टीम ने नासा से संपर्क किया, जिसने इसकी खोज की पुष्टि की।
नासा के प्रशासन बिल नेल्सन ने कहा, चैलेंजर पर सवार सात साहसी और बहादुर खोजकर्ताओं को अपनी जान गंवाए लगभग 37 साल हो चुके हैं, लेकिन यह त्रासदी हमारे देश की सामूहिक स्मृति में हमेशा रहेगी। दुनिया भर में लाखों लोगों के लिए, 28 जनवरी, 1986, अभी भी कल की तरह महसूस होता है।
उन्होंने एक बयान में कहा, यह खोज हमें एक बार फिर रुकने, हमारे द्वारा खोए गए सात अग्रदूतों की विरासत को ऊपर उठाने और इस त्रासदी ने हमें कैसे बदल दिया, इस पर चिंतन करने का मौका देती है।
चैलेंजर की नवीनतम खोज का विवरण देने वाली हिस्ट्री चैनल डॉक्यूमेंट्री 22 नवंबर को प्रसारित होगी।
अंतिम चैलेंजर मिशन, एसटीएस-51एल की कमान फ्रांसिस आर. डिक स्कोबी ने संभाली थी और इसका संचालन माइकल जे. स्मिथ ने किया था।
बोर्ड पर चालक दल के अन्य सदस्य मिशन विशेषज्ञ रोनाल्ड ई मैकनेयर, एलिसन एस ओनिजुका, जूडिथ ए रेसनिक, पेलोड विशेषज्ञ ग्रेगरी बी जार्विस और शिक्षक एस. क्रिस्टा मैकऑलिफ थे।
उड़ान के 73 सेकंड बाद यान में आई खराबी के परिणामस्वरूप जहां चैलेंजर नष्ट हो गया और उसमें सवार सात अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई।
बाद में एक एजेंसी की जांच से पता चला कि अप्रत्याशित रूप से ठंडे तापमान ने ठोस रॉकेट बूस्टर सेगमेंट जोड़ों में ओ-रिंग सील की अखंडता को प्रभावित किया।
चैलेंजर के नष्ट होने के बाद कोलंबिया अपने सात अंतरिक्ष यात्रियों (भारतीय मूल की कल्पना चावला सहित) के साथ फरवरी 2003 में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।
बाद में नासा ने जोखिम का मूल्यांकन करने के लिए एक प्रणाली विकसित की और सुरक्षा का वातावरण स्थापित किया।
एजेंसी ने एक अपोलो चैलेंजर कोलंबिया लेसन्स लर्न प्रोग्राम भी बनाया।
कैनेडी स्पेस सेंटर के निदेशक जेनेट पेट्रो ने कहा, चैलेंजर और उसका दल नासा और राष्ट्र दोनों के दिलों और यादों में रहते हैं।
नासा वर्तमान में इस बात पर विचार कर रहा है कि चौलेंजर हादसे में जान गंवाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों और उनसे प्यार करने वाले परिवारों का उचित सम्मान किया जाए।