N1Live National राष्ट्रीय वन्यजीव दिवस : एक दिन उनके नाम, जो खुद के लिए आवाज नहीं उठा सकते!
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राष्ट्रीय वन्यजीव दिवस : एक दिन उनके नाम, जो खुद के लिए आवाज नहीं उठा सकते!

National Wildlife Day: A day in the name of those who cannot raise their voice for themselves!

नई दिल्ली, 4 सितंबर । हर साल 4 सितंबर को राष्ट्रीय वन्यजीव दिवस मनाया जाता है। इसके पीछे उद्देश्य बहुत सरल है। यह दिन पूरी तरह से दुनिया के जंगली जीवों (वाइल्ड एनिमल) के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए समर्पित है।

यह दिवस दुनिया की आजीविका को बनाए रखने में वनों, वन प्रजातियों और इकोसिस्टम के महत्व को दर्शाता है। जंगल तेजी से खत्म हो रहे हैं। पेड़-पौधों को काटकर, जंगली जानवरों का शिकार या उन्हें कहीं और शिफ्ट करके कॉरपोरेट सेक्टर, फैक्ट्री और रेजिडेंशियल एरिया का निर्माण तेजी से हो रहा है। यही कारण है कि पूरा इकोसिस्टम तहस-नहस हो गया है।

भारत में राष्ट्रीय वन्यजीव दिवस का उद्देश्य वन्य जीवों और उनके आवासों के संरक्षण के बारे में जागरूकता फैलाना है। इस दिन को मनाने के पीछे का कारण यह है कि 4 सितंबर 1972 को भारत सरकार ने वन्यजीव संरक्षण अधिनियम पारित किया था, जिसका उद्देश्य वन्य जीवों और उनके आवासों का संरक्षण करना है।

राष्ट्रीय वन्यजीव दिवस के अवसर पर, भारत में विभिन्न कार्यक्रमों और गतिविधियों का आयोजन किया जाता है, जैसे कि वन्यजीव संरक्षण के बारे में जागरूकता अभियान, वन्यजीवों के बारे में फिल्मों और डॉक्यूमेंट्री का प्रदर्शन और वन्यजीव संरक्षण के लिए काम करने वाले लोगों को सम्मानित करना।

वन्यजीव हमारी प्रकृति के इकोलॉजिकल बैलेंस को बनाए रखने में मदद करते हैं। मांसाहारी जानवरों को मारने से शाकाहारी जानवरों की संख्या में वृद्धि होती है, जो बदले में वन वनस्पति को प्रभावित करते हैं। इस प्रकार जंगल में भोजन की कमी के कारण वे जंगल से कृषि भूमि पर आते हैं और फसलों को नष्ट कर देते हैं। इसलिए, वन्यजीवों को बरकरार रखे बिना हमारा जीवन लगभग असंभव है। इसलिए, अगर यह संतुलन बिगड़ेगा, तो यह हमारे इकोसिस्टम को पूरी तरह से बाधित कर सकता है।

वन्यजीवों को विश्व व्यापार में वृद्धि और बेहतर विकास तथा राष्ट्रीय आय में वृद्धि के लिए सबसे बड़े कारकों में से एक माना जाता है। वन्यजीवों और प्रकृति की रक्षा करना मनुष्य जीवन का प्रथम कर्तव्य होना चाहिए।

प्राकृतिक दुनिया को समझना ही काफी नहीं है। मुद्दा इसे बचाना और संरक्षित करना है। अगर हम जंगली जानवरों और वनों को नष्ट करते हैं, तो हम प्रकृति के विरुद्ध जा रहे हैं, जिसका खामियाजा हमें ही भुगतना पड़ेगा। ‘वन्यजीवों को बचाएं, अपने भविष्य को बचाएं।’

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