October 13, 2025
National

नवरात्रि विशेष : दो घड़ी में बदल जाएगी किस्मत, अष्टमी और नवमी में विशेष महत्व

Navratri Special: Luck will change in two hours, special significance in Ashtami and Navami

शारदीय दुर्गोत्सव का एक प्रमुख अनुष्ठान है संधि पूजा। यह पूजा विशेष रूप से अष्टमी और नवमी तिथियों के बीच के संधिकाल में की जाती है। संधि पूजा का समय कुल 48 मिनट का होता है, जो अष्टमी तिथि के अंतिम 24 मिनट और नवमी तिथि के पहले 24 मिनट मिलाकर बनता है।

इसे धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना जाता है क्योंकि पुराणों के अनुसार, इसी शुभ घड़ी में देवी चंडी ने महिषासुर का वध कर अधर्म पर धर्म की विजय हासिल की थी। इसलिए संधि पूजा को देवी की अपराजेय शक्ति का प्रतीक माना जाता है।

समय की गणना के अनुसार पूरे दिन में कुल तीस घड़ी होती हैं और एक घड़ी की अवधि 24 मिनट होती है। इस प्रकार दो घड़ी मिलाकर संधि पूजा का समय 48 मिनट का होता है। इस दो घड़ी में की गई पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है।

इस समय देवी की आराधना अत्यंत विधिवत 108 दीप प्रज्वलित कर की जाती है, जो प्रकाश और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक होता है। इसके साथ ही 108 कमल के पुष्प और 108 बेलपत्र भी देवी को अर्पित किए जाते हैं। यह संख्या पवित्र और शुभ मानी जाती है।

संधि पूजा के दौरान पूजा मंडपों में विशेष मंत्रोच्चारण होता है। ढाक की थाप और शंखध्वनि से पूरा माहौल गूंज उठता है, जिससे भक्तों का मन आध्यात्मिक अनुभव से भर जाता है। भक्तों का विश्वास है कि इस शुभ संधि काल में की गई प्रार्थना से सभी बाधाएं, कष्ट और संकट दूर होते हैं और जीवन में सफलता और समृद्धि आती है।

कोलकाता सहित पश्चिम बंगाल के नामी-गरामी पूजा पंडालों में इस संधि पूजा की तैयारियां शुरू हो गई हैं। संधि पूजा के दौरान भारी भीड़ जमा होने की संभावना है। भीड़ को नियंत्रित करने और पूजा का सुव्यवस्थित संचालन सुनिश्चित करने के लिए समितियों ने विशेष सुरक्षा और प्रबंध किए हैं।

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