विशाखापत्तनम/नई दिल्ली, इंडियन नेवल एयर स्क्वाड्रन 324 को सोमवार को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। इसे पूर्वी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल बिस्वजीत दासगुप्ता, एवीएसएम, वाईएसएम, वीएसएम की उपस्थिति में आईएनएस डेगा, विशाखापत्तनम में आयोजित एक प्रभावशाली कमीशनिंग समारोह में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया।
यह यूनिट पूर्वी समुद्र तट पर स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित उन्नत हल्के हेलीकाप्टर (एएलएच) एमके-3 (एमआर) हेलीकाप्टरों का संचालन करने वाली नौसेना की पहली स्क्वाड्रन है। सभा को संबोधित करते हुए, वाइस एडमिरल दासगुप्ता ने कहा कि कमान में पहले एएलएच एमके-3 स्क्वाड्रन के चालू होने से पूर्वी समुद्र तट पर निगरानी क्षमता में वृद्धि होगी। आईएनएएस 324 को ‘केस्ट्रेल्स’ नाम दिया गया है जो शिकारी पक्षी हैं और इनमें अच्छी संवेदी क्षमताएं हैं जो एयरक्राफ्ट एवं इस एयर स्क्वाड्रन की इच्छित भूमिका का प्रतीक हैं।
स्क्वाड्रन का प्रतीक चिन्ह एक ‘केस्ट्रेल’ को दर्शाता है जो विशाल नीली और सफेद समुद्री लहरों पर खोज कर रहा है, जो इस स्क्वाड्रन की अभिन्न समुद्री टोही (एमआर) तथा खोजबीन एवं बचाव (एसएआर) भूमिका को दर्शाता है। एएलएच एमके-3 हेलीकॉप्टर अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित हैं जिनमें आधुनिक निगरानी रडार और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सेंसर शामिल हैं। इन फ्लाइंग मशीनों को शामिल किया जाना भारत सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के अनुरूप है, क्योंकि इन्हें हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा विकसित व निर्मित किया गया है।
आईएनएएस 324 की कमान कमांडर एसएस डैश द्वारा संभाली गई है, जो सैन्य अभियान के अपने व्यापक अनुभव के साथ एक कुशल और अत्यधिक अनुभवी एएलएच क्वालिफाइड फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर हैं।समुद्री टोही (एमआर) तथा खोजबीन एवं बचाव (एसएआर) की अपनी मुख्य भूमिकाओं के अलावा इन हेलीकॉप्टरों को मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (एचएडीआर) संचालन के साथ-साथ समुद्री कमांडो के साथ स्पेशल ऑपरेशन्स के लिए भी तैनात किया जा सकता है।
गंभीर रूप से बीमार रोगियों की चिकित्सा संबंधी निकासी की सुविधा के लिए हेलीकॉप्टर में एयर एम्बुलेंस भूमिका में उपयोग के लिए एक हवाई चिकित्सा गहन देखभाल इकाई (एमआईसीयू) भी है।
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