पंजाब और हरियाणा में लगातार खेतों में आग लगने की घटनाएं और तापमान में गिरावट के कारण क्षेत्र में वायु प्रदूषण और भी खराब हो गया है। गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) और पंजाब और हरियाणा के कई स्थानों पर वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) ‘खराब’ और ‘गंभीर’ श्रेणी के बीच रहा।
नई दिल्ली में वायु गुणवत्ता लगातार चौथे दिन ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रही। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, गुरुवार को शाम 4 बजे दिल्ली में AQI 306 दर्ज किया गया। अन्य एनसीआर क्षेत्रों – फरीदाबाद (142), गुरुग्राम (239), गाजियाबाद (272), ग्रेटर नोएडा (214) और नोएडा (169) में AQI तुलनात्मक रूप से बेहतर था।
बढ़ते प्रदूषण पर चिंता व्यक्त करते हुए दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि हवाएं उत्तर-पश्चिम दिशा में चल रही हैं, जिससे पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने के कारण एनसीआर में प्रदूषण का स्तर बढ़ सकता है।
राय ने कहा, “हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने का असर दिल्ली में ज़्यादा दिखाई देगा। प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए हमने अपने सभी विभागों को अलर्ट पर रखा है।”
वायु गुणवत्ता को चार श्रेणियों में विभाजित किया गया है – चरण I ‘खराब’ (AQI 201-300); चरण II ‘बहुत खराब’ (AQI 301-400); चरण III ‘गंभीर’ (AQI 401-450); और चरण IV ‘गंभीर प्लस’ (AQI >450)।
दिल्ली में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) चरण-II 22 अक्टूबर को लागू किया गया तथा यह अभी भी लागू है।
11 सूत्री चरण-II कार्रवाइयों में सड़कों पर दैनिक यांत्रिक या वैक्यूम स्वीपिंग और पानी का छिड़काव, निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण के उपाय, एनसीआर में चिन्हित हॉटस्पॉटों में केंद्रित कार्रवाई, डीजल जनरेटर के उपयोग को हतोत्साहित करने के लिए निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करना और भीड़भाड़ वाले स्थानों पर यातायात प्रवाह को समन्वित करना आदि शामिल हैं।
उप-समिति ने निजी वाहनों के उपयोग को हतोत्साहित करने के लिए पार्किंग शुल्क बढ़ाने का भी प्रस्ताव रखा है।
एनसीआर में लागू किए गए जीआरएपी चरण-II के तहत आपातकालीन और आवश्यक सेवाओं को छोड़कर, होटलों, रेस्तरां और खुले भोजनालयों में तंदूरों सहित कोयले और जलाऊ लकड़ी के उपयोग, साथ ही डीजल जनरेटर सेटों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया गया है।
द्वारका, रोहिणी, डीटीयू, आईजीआई एयरपोर्ट (टी 3), आईटीओ, मुंडका, नरेला, पटपड़गंज, शादीपुर, सोनिया विहार, वजीरपुर, अलीपुर, अशोक विहार, आया नगर, बुराड़ी, मंदिर मार्ग, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, नजफगढ़ और नेहरू नगर राजधानी के उन 24 इलाकों में शामिल हैं, जहां बुधवार और गुरुवार सुबह एक्यूआई ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज किया गया।
सभी स्थानीय अस्पतालों ने प्रदूषण से जुड़ी सांस संबंधी बीमारियों में 40 प्रतिशत की वृद्धि की सूचना दी है। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, शहर में न्यूनतम तापमान 20.7 डिग्री सेल्सियस रहा, जो मौसम के सामान्य तापमान से तीन डिग्री अधिक है और सुबह 8.30 बजे आर्द्रता 70 प्रतिशत थी।
वायु प्रदूषण की चुनौती से निपटने के लिए दिल्ली के उपराज्यपाल ने आज दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बैठक की अध्यक्षता की जिसमें मुख्यमंत्री आतिशी भी शामिल हुईं जो इसकी उपाध्यक्ष हैं। उपराज्यपाल ने वायु प्रदूषण के आंतरिक स्रोतों को कम करने की आवश्यकता पर बल दिया।
हरियाणा में गुरुवार को पानीपत, करनाल और कुरुक्षेत्र जिलों में वायु गुणवत्ता सूचकांक ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गया। मौसम रिकॉर्ड के अनुसार, पिछले 24 घंटों में पानीपत में वायु गुणवत्ता सूचकांक 450 रहा, जबकि करनाल में यह 402 दर्ज किया गया। कुरुक्षेत्र का वायु गुणवत्ता सूचकांक 420 रहा। इसके अलावा अंबाला, भिवानी, चरखी दादरी, हिसार, जींद, कैथल और रोहतक में वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रही।
पराली जलाने से वायु गुणवत्ता सूचकांक खराब होता जा रहा है तथा HARSAC उपग्रह द्वारा ली गई तस्वीरों में हरियाणा में 15 खेतों में आग लगाने की घटनाएं कैद हुई हैं।
पंजाब में भी प्रमुख जिलों में AQI में गिरावट आनी शुरू हो गई है। औद्योगिक शहर मंडी गोबिंदगढ़ राज्य में सबसे प्रदूषित रहा, जहां AQI 222 तक पहुंच गया, उसके बाद अमृतसर (214) और जालंधर (176) का स्थान रहा।
राज्य में बठिंडा की वायु गुणवत्ता सूचकांक सबसे साफ रही, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 72 रहा।
चंडीगढ़ मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक सुरेंद्र पॉल ने जानकारी देते हुए बताया कि अगले सप्ताह क्षेत्र में शुष्क और धुंध वाली स्थिति बनी रहेगी। उन्होंने कहा, “आने वाले दिनों में पश्चिमी विक्षोभ की कोई संभावना नहीं दिखती। इसलिए, बारिश या धूल को उड़ाने वाली तेज हवा की संभावना बहुत कम है।”
राज्य भर में पराली जलाने की 40 से ज़्यादा घटनाएँ सामने आईं। फ़िरोज़पुर में 14, अमृतसर में 4 और गुरदासपुर, तरनतारन और संगरूर में 3-3 घटनाएँ सामने आईं। इस मौसम में पराली जलाने की कुल संख्या 1,638 तक पहुँच गई है।