June 26, 2024
National

तनाव से होने वाले विकार के इलाज को फिर से देखने की जरूरत : शोध

नई दिल्ली, 17 जून । शोधकर्ताओं ने बताया है कि तनाव से थकान संबंधी विकार के पारंपरिक इलाज के दौरान इसके मनोवैज्ञानिक और सामाजिक पहलुओं को नजरअंदाज कर दिया जाता है। तनाव की अवधारणा को नए सिरे से देखने की जरूरत है।

तनाव मानव विकास के केंद्र में है, फिर भी अक्सर तनाव के नकारात्मक पहलुओं पर ही ध्यान जाता है।

स्वीडन के उप्साला विश्वविद्यालय में एक नए शोध प्रबंध में तनाव से होने वाली थकावट और उससे पैदा हुए विकार के पारंपरिक इलाज पर सवाल उठाया गया है। इसके बदले एक नया मॉडल प्रस्तुत किया गया है, जो इसके ठीक होने के बजाय सार्थकता पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है।

उप्साला विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के जैकब क्लासन वैन डी लियूर ने कहा, ”एक्सहॉस्टेड डिसऑर्डर (थकान संबंधी विकार) के मनोवैज्ञानिक उपचार के लिए कोई स्थापित मॉडल नहीं हैं। रिकवरी और तनाव की अवधारणाएं हमारे वर्तमान युग में इतनी व्यापक रूप से स्वीकार की जाती हैं कि उनकी आलोचनात्मक रूप से जांच करना मुश्किल है।”

तनाव से संबंधित थकावट वाले मरीजों को आराम और विश्राम को प्राथमिकता देनी चाहिए।

वैन डी लियूर ने कहा, ”लेकिन रिकवरी पर अत्यधिक एकतरफा ध्यान देना इसे गलत दिशा की ओर ले जाता है। यह समय के साथ हानिकारक हो सकता है।

उन्होंने तनाव से संबंधित थकावट से ग्रस्त 915 रोगियों को देखा, जिन्होंने चिकित्सा मनोवैज्ञानिक और फिजियोथेरेप्यूटिक विधियों सहित व्यापक कार्यक्रमों में भाग लिया।

शोधकर्ताओं ने कहा कि हालांकि परिणाम सकारात्मक हैं, लेकिन कुल मिलाकर यह दृष्टिकोण अपेक्षाकृत अप्रभावी है।

वैन डी लियूर ने बताया, ”जब मैंने उपचार शुरू किया था तो यह एक साल तक चलता था, अब हम 12 सप्ताह के डिजिटल कार्यक्रम पर काम कर रहे हैं।”

शोधकर्ताओं ने बताया कि एक छोटा सा अध्ययन होने के बावजूद, इसके परिणाम हमारे पिछले छह महीने के उपचार कार्यक्रम के समान प्रभाव दिखाते हैं, जिसमें नैदानिक ​​संसाधनों का केवल एक चौथाई हिस्सा ही इस्तेमाल किया गया था। इसका मतलब है कि स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में अधिक रोगियों को उपचार उपलब्ध कराया जा सकता है।

Leave feedback about this

  • Service