चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन दिल्ली के प्रसिद्ध कालकाजी मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है। मंगलवार सुबह से ही माता कालकाजी के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की लंबी-लंबी कतारें देखी गई। भक्तों का उत्साह चरम पर है और वे घंटों इंतजार कर मंदिर में माता के दर्शन कर रहे हैं।
माता कालकाजी के दर्शन के लिए पहुंचे श्रद्धालुओं ने अपनी गहरी आस्था और उत्साह को व्यक्त किया। एक भक्त ने दर्शन के बाद अपनी भावनाएं साझा करते हुए कहा, ” हमें दर्शन-पूजन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। माता रानी में निश्चित रूप से गहरी आस्था है। मंदिर में आकर मन को शांति मिलती है और ऐसा लगता है कि माता हर मनोकामना पूरी करेंगी।”
एक श्रद्धालु ने बताया, “सुबह से ही मंदिर में भक्तों की संख्या बढ़ रही है। जैसे-जैसे दिन चढ़ेगा, भीड़ और बढ़ेगी।”मंदिर के पुजारी और प्रशासन का कहना है कि नवरात्रि के इन दिनों में हर साल लाखों भक्त माता कालकाजी के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। भक्तों की भारी भीड़ को देखते हुए स्थानीय पुलिस और प्रशासन अलर्ट मोड पर है ताकि किसी भी तरह की असुविधा से बचा जा सके।
मंदिर परिसर में सुरक्षा व्यवस्था के साथ-साथ भक्तों की सुविधा के लिए अतिरिक्त प्रबंध किए गए हैं। वहीं प्रशासन ने भीड़ को संभालने के लिए सुरक्षा और सुविधा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। नवरात्रि के इन दिनों में मंदिर में हर साल की तरह इस बार भी लाखों श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है। भक्तों की आस्था और मंदिर का आध्यात्मिक माहौल इस पर्व को और खास बना रहा है।
बता दें कि कालकाजी स्थित मंदिर दिल्ली के प्राचीन मंदिरों में से एक है। यहां पर चैत्र नवरात्रि के दिनों में भारी संख्या में भक्त मां कालका का दर्शन करने पहुंचते हैं। मान्यता है कि यहां पर सच्चे मन से मांगी मुराद को मां जरूर पूरा करती हैं।
चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन मंगलवार को देशभर में मां चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना की जा रही है। देवी भागवत पुराण के अनुसार, मां चंद्रघंटा का स्वरूप अत्यंत शांत, सौम्य और ममतामयी है, जो अपने भक्तों को सुख-समृद्धि और शांति का आशीर्वाद देती हैं। मां के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्ध चंद्रमा सुशोभित होने के कारण इन्हें चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है।
मां चंद्रघंटा के शरीर का रंग सोने की तरह चमकीला है और इनका वाहन सिंह है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस देवी के दस हाथ हैं, जो कमल, धनुष, बाण, खड्ग, कमंडल, तलवार, त्रिशूल और गदा जैसे अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित हैं। मां के गले में सफेद फूलों की माला और शीर्ष पर रत्नजड़ित मुकुट उनकी दिव्यता को और बढ़ाता है। युद्ध की मुद्रा में विराजमान मां चंद्रघंटा तंत्र साधना में मणिपुर चक्र को नियंत्रित करने वाली मानी जाती हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मां चंद्रघंटा की आराधना से भक्तों को भौतिक सुखों में वृद्धि के साथ-साथ समाज में प्रभाव और सम्मान की प्राप्ति होती है। इस दिन श्रद्धालु मंदिरों में जाकर मां के दर्शन और पूजा कर रहे हैं। नवरात्रि के इस तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की कृपा पाने के लिए भक्त विशेष रूप से उत्साहित नजर आए।
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