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बिहार में धान खरीद का नया रिकॉर्ड, 39 लाख मीट्रिक टन के पार आंकड़ा

New record for paddy purchase in Bihar, figure crosses 39 lakh metric tons

बिहार में इस वर्ष धान खरीद ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। बिहार में इस साल धान की खरीद में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इस साल कुल 39.23 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की गई है, जो कि 45 लाख मीट्रिक टन के निर्धारित लक्ष्य का लगभग 87.2 प्रतिशत है।

जानकारी के मुताबिक, गत वर्ष सरकार ने 30 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा था, जो लक्ष्य का 66.7 प्रतिशत था। इस साल धान की खरीद में करीब 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, यानी करीब नौ लाख मीट्रिक टन धान अधिक खरीदी गई है। इस उपलब्धि पर मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने सभी जिलाधिकारियों और उनकी टीम को बधाई दी है।

आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में पिछले वर्ष के मुकाबले करीब नौ लाख मीट्रिक टन धान की खरीद अधिक हुई है, जिसमें सबसे ज्यादा भोजपुर में 105 फीसदी धान की खरीद हुई है। जिन जिलों में 95 फीसदी से अधिक धान खरीदारी हुई, उनमें अरवल, बांका, बेगूसराय, पूर्वी चंपारण, गया, किशनगंज, लखीसराय, मधेपुरा, नालंदा, पटना, सहरसा, शेखपुरा, शिवहर, सीवान और सुपौल हैं। वहीं, 90 फीसदी से अधिक धान खरीद वाले जिलों में पश्चिमी चंपारण, सारण, मुंगेर, जमुई, अररिया शामिल हैं।

राज्य सरकार पारंपरिक खेती के तरीकों को बदलकर किसानों को स्मार्ट खेती करने के लिए लगातार प्रेरित कर रही है। इसके लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत राज्य के सभी 101 अनुमंडलों को ड्रोन देने की योजना है।

उत्तर बिहार में पिछले साल एक नवंबर से धान की खरीद की प्रक्रिया शुरू हुई थी, जो 15 फरवरी 2025 तक चली। विभाग ने इस बार साधारण धान के लिए 2,300 रुपए प्रति क्विंटल और ग्रेड-ए धान के लिए 2,320 रुपए प्रति क्विंटल की दर निर्धारित की थी।

पिछले वर्ष साधारण धान की कीमत 2,183 रुपए प्रति क्विंटल थी, जबकि ग्रेड-ए धान की कीमत 2,203 रुपए प्रति क्विंटल थी। दक्षिण बिहार में पिछले साल 15 नवंबर से खरीद शुरू हुई थी और 15 फरवरी तक जारी रही।

सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है। इसी कारण धान की बिक्री करने वाले निबंधित किसानों का बायोमीट्रिक सत्यापन किया गया। तय किया गया कि रैयती किसान अधिकतम 250 क्विंटल धान की बिक्री कर सकेंगे, जबकि गैर रैयती किसान अधिकतम 100 क्विंटल धान बेच सकेंगे। किसानों को खरीद के 48 घंटे के भीतर भुगतान किया जाएगा और किसी भी परिस्थिति में धान का बकाया नहीं रखा जाएगा।

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