पुरुष-प्रधान हरियाणा ने इंजीनियरिंग, विनिर्माण और खतरनाक नौकरियों सहित सभी व्यवसायों में महिलाओं को अनुमति देकर एक नया अध्याय शुरू किया है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में आज यहाँ हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी गई। यह नई व्यवस्था पंजाब कारखाना नियम, 1952 में संशोधन के साथ लागू होगी, जिससे उन कारखानों में कुछ प्रक्रियाओं में महिलाओं को रोज़गार देने की अनुमति मिल जाएगी जहाँ पहले उनके काम करने पर प्रतिबंध था।
एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा, “यह संशोधन लैंगिक असमानता को दूर करेगा, महिलाओं के लिए रोज़गार के अवसरों का विस्तार करेगा और इंजीनियरिंग, रसायन एवं विनिर्माण जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में समावेशिता को बढ़ावा देगा, जहाँ पहले महिलाओं की भागीदारी सीमित थी। यह आधुनिक श्रम सुधारों, महिला सशक्तिकरण और संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 में निहित समान अवसर के सिद्धांतों के प्रति हरियाणा की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।”
संशोधन यह सुनिश्चित करता है कि गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को खतरनाक रोजगार श्रेणियों से बाहर रखा जाए, जिससे आवश्यक स्वास्थ्य और सुरक्षा संरक्षण बना रहे।
वर्तमान में, महिलाओं को चलती मशीन की सफाई, तेल लगाने या उसे एडजस्ट करने की अनुमति नहीं है, जहाँ उसके पुर्जों से चोट लगने का खतरा हो, रुई के फाहे से काम करने या अत्यधिक वजन उठाने की अनुमति नहीं है। इसके अलावा, महिलाओं के कांच निर्माण, एस्बेस्टस के संचालन और पेट्रोलियम या अन्य खतरनाक रसायनों के साथ काम करने पर भी प्रतिबंध हैं।
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