January 15, 2025
National

निश्चलानंद सरस्वती की ममता बनर्जी को नसीहत, सत्ता आती-जाती रहती है, पर इतिहास अमर रहता है

Nischalananda Saraswati’s admonition to Mamata Banerjee, power keeps coming and going, but history remains immortal

पश्चिम बंगाल के गंगासागर में तीर्थ यात्रियों के पहुंचने का सिलसिला जारी है। निश्चलानंद सरस्वती भी मकर संक्रांति के निमित गंगा सागर में मौजूद हैं। मंगलवार को उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए प्रदेश में आतंकवादियों और अवैध घुसपैठियों की सक्रियता को लेकर राज्य की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस पार्टी की संस्थापक अध्यक्ष ममता बनर्जी को नसीहत दी।

पश्चिम बंगाल से अवैध बांग्लादेशियों और आतंकवादियों के गिरफ्तार होने पर निश्चलानंद सरस्वती ने कहा, “ममता जी यहां पर ध्‍यान दें, जैसे केंद्र सरकार ने पाकिस्तान में बैठे आतंकवादियों को पकड़कर घसीटा, वही यहां पर भी होना चाहिए। अगर वो देशभक्त नहीं हुईं, तो शासन कब तक कर सकेंगी। मिलीभगत से नहीं, बल्कि कठोरता के साथ हिंदुओं के अस्तित्व का मार्ग प्रशस्त करें। हिंदू और देश की अखंडता में हमें अपनी भूमिका प्रस्तुत करनी चाहिए। सत्ता आती है, जाती है, लेकिन इतिहास अमर रहता है। इसलिए किसी वर्ग को रिझाने के लिए सनातन सिद्धांत की हत्या और हिंदुओं पर हमला कराना अनुचित है।”

महाकुंभ 2025 में भ्रष्टाचार के सवाल पर निश्चलानंद सरस्वती ने कहा, “मेरा पद सर्वोच्च न्याय का है, मेरा मानना है कि संविधान ऐसा होना चाहिए, जिसे यमराज भी स्वीकार करें। हम उस संविधान को मानते हैं, जिसे भगवान और यमराज भी स्वीकार करते हैं। कोविड से पहले योगी आदित्यनाथ हर साल मेरे पास 2-3 बार आते थे। मैं 32 साल से परिचित हूं। प्रयाग में मैं जाऊंगा और समस्याएं मेरे पास आएंगी, तो सोच-समझकर कदम उठाऊंगा। बिना सोचे-समझे कुछ बोलना उचित नहीं है।”

पारसनाथ तीर्थस्थान को लेकर उन्होंने कहा, “झारखंड में पारसनाथ तीर्थ स्थान है। केंद्र सरकार ने उसे पर्यटन केंद्र घोषित किया। इसके व‍िरोध में जैन संप्रदाय के दो संत अनशन कर मर गए। उन्होंने कहा था कि यह तीर्थस्थली और तपोस्थली है, उसको पर्यटन का केंद्र के रूप में भोगस्थली बनाना ठीक नहीं है। अंत में केंद्र सरकार ने अपने फैसले को पलटा और पर्यटन केंद्र की मान्‍यता निरस्त क‍िया। लेकिन वहां व्यापारी चाहते हैं कि वो पर्यटन का केंद्र बन जाए। ऐसा विकास नहीं होना चाहिए कि तीर्थस्थल ही विलुप्त हो जाए।”

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