राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने इस व्यापक मान्यता पर संदेह व्यक्त किया है कि पंजाब में पराली जलाने से दिल्ली के वायु प्रदूषण में महत्वपूर्ण योगदान होता है। उन्होंने इस दावे को पुष्ट करने के लिए वैज्ञानिक साक्ष्यों के अभाव पर बल दिया।
न्यायमूर्ति अग्रवाल ने ‘पर्यावरण अनुकूल धान की खेती पर सम्मेलन’ में कहा, ‘न तो इस दावे को साबित करने के लिए कोई वैज्ञानिक अध्ययन है, न ही यह साबित करना व्यावहारिक है कि पंजाब से निकलने वाला धुआं दिल्ली में प्रदूषण पैदा कर रहा है।’ उन्होंने क्षेत्र में वायु प्रदूषण के वास्तविक कारणों का पता लगाने के लिए गहन शोध की मांग की।
किसानों के साथ हो रहे “अन्याय” पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने तर्क दिया, “किसानों को दोषी ठहराना, उनके खिलाफ मामले दर्ज करना और जुर्माना लगाना बहुत अन्यायपूर्ण है। ज़्यादातर किसान अशिक्षित हैं और उनकी मानसिकता बदलने में समय लगेगा। उन्हें दंडित करने के बजाय, हर गांव में जाकर जागरूकता अभियान चलाने की ज़रूरत है।”
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में अपने ऐतिहासिक फैसले के लिए जाने जाने वाले जस्टिस अग्रवाल ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण में किसानों की अहम भूमिका है। उन्होंने सतही मिट्टी और टिकाऊ खेती के तरीकों के महत्व पर जोर देते हुए कहा, “पर्यावरण सीधे तौर पर कृषि से जुड़ा हुआ है। इसलिए हरियाली बनाए रखना उनकी जिम्मेदारी है।”
Leave feedback about this