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किसी भी देश ने पहलगाम हमले के लिए पाकिस्तान की निंदा नहीं की; क्या यह विदेश नीति की विफलता नहीं है: माकन

No country condemned Pakistan for Pahalgam attack; isn't this a failure of foreign policy: Maken

शिमला में जय हिंद सभा में कांग्रेस नेताओं ने आज भाजपा पर आरोप लगाया कि वह सेना और उनके अभियानों का इस्तेमाल तुच्छ राजनीतिक लाभ के लिए कर रही है। एआईसीसी के कोषाध्यक्ष अजय माकन ने कहा, “कांग्रेस के सत्ता में रहने के दौरान भी भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक की थी, लेकिन मौजूदा सरकार के विपरीत हमारी पार्टी की सरकारों ने कभी भी इन स्ट्राइक का श्रेय नहीं लिया।” इस अवसर पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, हिमाचल प्रदेश के लिए एआईसीसी प्रभारी रजनी पाटिल, हिमाचल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह, उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री और अन्य मंत्री मौजूद थे।

माकन ने कहा कि सभी देशों ने पहलगाम आतंकी हमले की निंदा की थी, लेकिन किसी ने भी इस जघन्य अपराध के लिए पाकिस्तान की निंदा नहीं की। उन्होंने कहा, “क्या यह हमारी विदेश नीति की विफलता नहीं है? 1971 में अमेरिका के अलावा कोई भी देश पाकिस्तान के साथ खड़ा नहीं था, लेकिन आज कोई भी देश पाकिस्तान की निंदा नहीं कर रहा है।”

मुख्यमंत्री ने राज्य और देश के वीर जवानों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा, “आज का दिन देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले हमारे वीर जवानों के बलिदान को नमन करने का दिन है। हमारे सैनिकों ने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने में कभी संकोच नहीं किया। हिमाचली सैनिकों को चार परमवीर चक्रों से सम्मानित होने का गौरव प्राप्त है, जो राज्य की साहस और बलिदान की विरासत का प्रमाण है।”

सुखू ने सशस्त्र बलों को विश्वास में लिए बिना संघर्ष विराम की घोषणा करने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा, “यह चौंकाने वाला है कि संघर्ष विराम की घोषणा सोशल मीडिया के माध्यम से किसी तीसरे देश से हुई। यह पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी के निर्णायक नेतृत्व के बिल्कुल विपरीत है।” समारोह में युद्ध के दिग्गजों, शहीदों के परिवार के सदस्यों और विभिन्न वीरता पुरस्कार विजेताओं को सम्मानित किया गया।

रजनी पाटिल ने पूछा कि किन शर्तों पर युद्ध विराम हुआ। उन्होंने कहा, “किसी तीसरे देश द्वारा घोषित युद्ध विराम दुर्भाग्यपूर्ण है।”

प्रतिभा ने याद दिलाया कि कैसे इंदिरा गांधी ने 1971 में पाकिस्तान को दो हिस्सों में बांट दिया था और पाकिस्तानी सैनिकों को मजबूरन आत्मसमर्पण करना पड़ा था। उन्होंने कहा, “राज्य के हर जिले से सैनिक देश की सेवा के लिए जाते हैं। पार्टी ने जिला स्तर पर भी ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने का फैसला किया है।”

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