N1Live National मुख्यमंत्री कोई भी बने, दिल्ली की जनता को कोई फायदा नहीं होने वाला : संदीप दीक्षित
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मुख्यमंत्री कोई भी बने, दिल्ली की जनता को कोई फायदा नहीं होने वाला : संदीप दीक्षित

No matter who becomes the Chief Minister, the people of Delhi will not get any benefit: Sandeep Dixit

नई दिल्ली,21 सितंबर । आप नेता आतिशी शनिवार को दिल्ली के छठे मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेंगी। उपराज्यपाल वीके सक्सेना शाम 4:30 बजे राज निवास में आतिशी और उनके मंत्रिपरिषद को शपथ दिलाएंगे। इसे लेकर दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित के बेटे और कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने शनिवार को आईएएनएस से बातचीत की।

संदीप दीक्षित ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “हमें कोई उम्मीद नहीं है। न ही यहां की प्रशासनिक व्यवस्था में कोई बदलाव होगा, क्योंकि इन लोगों ने खुद ही साफ कर दिया है कि केजरीवाल ही मुख्यमंत्री रहेंगे। कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल से कहा था कि आप कुछ नहीं कर सकते, न ही आप फाइल पर दस्तखत कर सकते हैं, न ही आप कोई आधिकारिक फैसला ले सकते हैं, न ही सचिवालय जा सकते हैं। कोर्ट को लगा कि जिस मामले में वो फंसे हैं, अगर वो दफ्तर जाएंगे और फाइलें देखेंगे तो सबूत नष्ट कर सकते हैं।”

उन्होंने आगे कहा कि कौन जानता है, शायद कोर्ट को यही संदेह रहा होगा। उसके बाद नया मुख्यमंत्री बनना था, उन्होंने जो उपयुक्त समझा उसे बना दिया। जहां तक ​​नए मुख्यमंत्री का सवाल है, उन्हें कोई उम्मीद नहीं है और उन्हें नहीं लगता कि टूटी-फूटी दिल्ली में कोई सुधार होगा।

पंजाब के एक निजी अस्पताल का बिल चुकाने को लेकर कांग्रेस नेता ने कहा, “इस बारे में मुझे ज्यादा जानकारी नहीं है। इसलिए मैं इस पर ज्यादा टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा। लेकिन मैं जेपी नड्डा से अप्रत्यक्ष तरीके से यह जरूर पूछना चाहूंगा कि आपके और आम आदमी पार्टी के बीच क्या संबंध है? यह कभी स्पष्ट नहीं किया गया कि आप दोनों कभी साथ जाते हैं या नहीं। जहां भी आपको लगता है कि भाजपा चुनाव हार रही है, वहां आम आदमी पार्टी सक्रिय हो जाती है।”

हरियाणा के पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर द्वारा कुमारी शैलजा की बीजेपी में वापसी को लेकर दिए गए बयान पर संदीप दीक्षित ने कहा कि ये सब सिर्फ बातें हैं। इन लोगों को एक बात समझ में नहीं आ रही है। कांग्रेस में दो चीजें हैं। पहली ये कि हमारे पास बहुत नेचुरल लीडरशिप है। हमारे पास हर क्षेत्र से नेता हैं। यहां लोग अपने-अपने विचारों से नेता बनते हैं। यहां नेताओं को अपनी बात कहने के लिए कोई रोक-टोक या घुटन नहीं है।

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