चेन्नई, 22 जनवरी। तमिलनाडु सरकार ने सोमवार को मद्रास उच्च न्यायालय को सूचित किया कि निजी मंदिरों, मंडपों या ऐसे अन्य स्थानों पर भजन बजाने, ‘अन्नधनम’ पेश करने या ‘प्राण प्रतिष्ठा’ कार्यक्रम की लाइव स्ट्रीम करने के लिए उसकी अनुमति की आवश्यकता नहीं है।
यह बात तमिलनाडु सरकार के अतिरिक्त लोक अभियोजक (एपीपी) ए दामोदरन ने मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति आनंद वेंकटेश के समक्ष कही।
अदालत ने विवेका हिंदू मूवमेंट, थिरुनिनरावुर, चेन्नई के अध्यक्ष एल. गणपति द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सोमवार सुबह लगभग 9.30 बजे एक विशेष बैठक आयोजित की थी।
याचिकाकर्ता 21 जनवरी 2024 को अवाडी के सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) द्वारा पट्टाभिराम में एक निजी विवाह हॉल में भजन और ‘अन्नधनम’ की अनुमति को अस्वीकार करने के आदेश को चुनौती दे रहा था।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील एस. रवि और जी. कार्तिकेयन ने मामले पर बहस की। एपीपी ने अदालत को सूचित किया कि आयोजकों को कार्यक्रम के बारे में पुलिस को सूचित करने की आवश्यकता है ताकि बल जरूरत पड़ने पर भीड़ नियंत्रण के लिए पर्याप्त उपाय कर सके।
सरकारी वकील ने कोर्ट को यह भी बताया कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस केवल संवेदनशील जगहों पर ही प्रतिबंध लगाएगी।
हालांकि एपीपी ने अदालत को बताया कि उसके नियंत्रण में आने वाले मंदिरों के लिए हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती (एचआर एंड सीई) विभाग की अनुमति लेनी होगी।
राज्य सरकार के रुख के आधार पर अदालत ने कहा, “राज्य सरकार और पुलिस द्वारा उठाए गए उपरोक्त रुख से यह बिल्कुल स्पष्ट हो जाता है कि शुभ अवसर को ध्यान में रखते हुए समारोह आयोजित करना, भजन गाना, राम नाम का उच्चारण करना, अन्नधनम की पेशकश करना” अपने-आप में निषिद्ध या प्रतिबंधित नहीं हैं।” न्यायमूर्ति आनंद वेंकटेश ने कहा कि सभी उत्सव और अन्नधनम पवित्र और धार्मिक तरीके से किए जाने चाहिए।
उन्होंने कहा, “यह ध्यान में रखना होगा कि यह सब आज बिना किसी कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा किए जिम्मेदारीपूर्ण और पवित्र तरीके से किया जाएगा। किसी भी गलत सूचना या गलत जानकारी को फैलने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और इसे सभी संबंधित पक्षों द्वारा ध्यान में रखा जाएगा। अंततः, संबंधित सभी लोगों को यह ध्यान रखना चाहिए कि ईश्वर के प्रति भक्ति केवल शांति और खुशी के लिए है, न कि समाज में व्याप्त संतुलन को बिगाड़ने के लिए।