स्थानीय अदालत ने बुधवार को पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ मानहानि के मामले में पेश न होने पर गैर-जमानती वारंट जारी किया। यह मामला अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में सुनवाई के लिए आया। अदालत ने पाया कि आरोपी पेश नहीं हुआ था और उसकी अनुपस्थिति को देखते हुए उसकी जमानत रद्द कर दी और गैर-जमानती वारंट जारी किया।
जनवरी 2017 में अखंड कीर्तनी जत्था के प्रवक्ता राजिंदर पाल सिंह ने बादल के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था, जिसमें उन पर संगठन को आतंकवादी संगठन का राजनीतिक चेहरा बताने का आरोप लगाया गया था। शिकायतकर्ता की ओर से पेश हुए अधिवक्ता पीआईपी सिंह ने कहा कि बादल का बयान निराधार और मानहानिकारक था, जिसका उद्देश्य जानबूझकर उनके मुवक्किल को बदनाम करना और उनके संगठन की छवि को धूमिल करना था।
आरोप है कि राजिंदर पाल सिंह द्वारा तत्कालीन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर पर हुई बैठक के बाद बादल ने यह बयान जारी किया था। अदालत ने पुलिस को मामले की जांच का आदेश दिया। बादल और राजिंदर पाल दोनों के बयान दर्ज किए गए। राजिंदर पाल अपने बयान पर कायम रहे, जबकि बादल ने आरोपों से इनकार किया।
बाद में, चंडीगढ़ पुलिस ने 28 नवंबर, 2019 को अदालत में एक जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसने रिपोर्टों की प्रामाणिकता को सत्यापित किया, जिसके आधार पर राजिंदर ने बादल के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दायर किया। पीआईपी सिंह ने बताया कि मामले की सुनवाई 9 जनवरी, 2026 को होगी। बादल ने इससे पहले शिकायत को रद्द करने के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। लेकिन उच्च न्यायालय ने 17 अक्टूबर, 2025 के अपने आदेश में याचिका खारिज कर दी थी। पिछली सुनवाई में भी बादल अदालत में पेश नहीं हुए थे।

