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कोडीन कफ सिरप का गैर-चिकित्सीय उपयोग सिद्ध, जांच के घेरे में 700 करोड़ से अधिक की संदिग्ध आपूर्ति

Non-medical use of codeine cough syrup proven, suspect supplies worth over Rs 700 crore under scrutiny

उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले पौने 9 वर्षों में अवैध नशे के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की है। योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत ताबड़तोड़ एक्शन ने अवैध नशे के सौदागरों की कमर तोड़ दी है। इसी क्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) को कोडीनयुक्त कफ सिरप एवं एनडीपीएस श्रेणी की औषधियों के अवैध भंडारण, क्रय-विक्रय, वितरण तथा अवैध डायवर्जन पर प्रभावी नियंत्रण के लिए अभियान चलाने के निर्देश दिए।

सीएम योगी के निर्देश पर तीन महीने पहले अभियान शुरू किया गया। विभाग ने कोडीनयुक्त कफ सिरप के अवैध डायवर्जन को लेकर देश का सबसे बड़ा क्रैकडाउन शुरू करने से पहले अंदरुनी गहन जांच शुरू की। इस दौरान झारखंड, हरियाणा, हिमाचल और उत्तराखंड जैसे राज्यों में विवेचना की गई और यूपी के सुपर स्टॉकिस्ट और होलसेलर के साथ उनके कारोबारी रिश्तों के सबूत जुटाए। इसके बाद प्रदेश में क्रैकडाउन शुरू हुआ, जिसने सिरप के अवैध डायवर्जन की परतें उधेड़ दीं।

एसएसडीए की रिपोर्ट के आधार पर पुलिस और एसटीएफ ने नशे के सौदागरों को दबोचने के लिए एक्शन शुरू किया। सीएम के निर्देश पर सिरप का नशे के रूप में इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ एनडीपीएस और बीएनएस के तहत मुकदमे दर्ज किये गये। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मामले में एनडीपीएस एक्ट के तहत मुकदमा चलाने को सही ठहराते हुए 22 मामलों में आरोपियों की रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया। कोर्ट ने 22 मामलों में आरोपियों द्वारा अरेस्ट स्टे की रिट याचिकाओं को भी खारिज कर दिया।

एफएसडीए ने पिछले तीन माह में कोडिनयुक्त कफ सिरप और एनडीपीएस श्रेणी की औषधियों के अवैध भंडारण, क्रय-विक्रय, वितरण तथा अवैध डायवर्जन पर कुल 52 जनपदों में 332 से अधिक थोक औषधि विक्रय प्रतिष्ठानों की जांच की। जांच के दौरान प्राप्त अभिलेखीय एवं भौतिक साक्ष्यों के आधार पर 36 जनपदों की कुल 161 फर्मों/संचालकों के विरुद्ध बीएनएस तथा एनडीपीएस एक्ट की सुसंगत धाराओं के तहत रिपोर्ट दर्ज कराई गई। वहीं, जिलाधिकारियों को गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई के लिए पत्र लिखा ताकि अवैध नशे से अर्जित संपत्ति को जब्त किया जा सके।

सीएम योगी के निर्देश पर एफएसडीए ने कोडीनयुक्त कफ सिरप की नशे के रूप में तस्करी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की, जो पूरे देश में सबसे बड़ा क्रैकडाउन है। एफएसडीए आयुक्त ने मामले की तह तक पहुंचने के लिए जनपद स्तर पर कई टीमें बनाईं। टीमों की निगरानी के लिए मुख्यालय पर एक टीम बनाई गई। विभिन्न टीमें जांच के लिए विभिन्न प्रदेशों में गईं और गोपनीय तरीके से साक्ष्य जुटाए। टीम ने केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो, ग्वालियर, मध्य प्रदेश से कोडीन फॉस्फेट का कोटा एवं उठान के विवरण को एकत्रित किया।

टीम ने कोडीनयुक्त कफ सिरप निर्माता फर्मों की जांच के लिए हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और उत्तराखंड का दौरा किया। यहां से सिरप के निर्माण और वितरण से संबंधित अभिलेख जुटाए। इसके बाद सिरप के क्रय-विक्रय अभिलेख के लिए रांची, दिल्ली और लखनऊ का रुख किया। इस दौरान पाया गया कि अधिकांश होलसेल के पास स्टॉक पहुंचने का सत्यापन नहीं है और रिटेल मेडिकल स्टोर के नाम पर कोई भी विक्रय बिल नहीं मिला, जबकि दिल्ली और रांची के सुपर स्टॉकिस्ट और इनसे जुड़े कुछ चिन्हित होलसेलर के नाम पर बिलिंग करके सिरप के साथ एनडीपीएस श्रेणी की दवाओं की एक समानांतर वितरण श्रृंखला बनाई गई।

बाद में, पूरी चेन को कनेक्ट किया गया और फिर सिरप के अवैध डायवर्जन का मामला सामने आया। कई मामलों में फर्में विक्रय बिल प्रस्तुत करने में असफल रहीं, जबकि कुछ फर्मों द्वारा केवल कागजी अभिलेखों में सिरप का क्रय-विक्रय दर्शाया गया। प्रस्तुत विक्रय विवरणों में भी किसी भी फुटकर औषधि प्रतिष्ठान को कोडीनयुक्त कफ सिरप की वास्तविक आपूर्ति का सत्यापन नहीं हो सका, जिससे कथित आपूर्ति को अप्रमाणित पाया गया। वर्ष 2024-25 में प्रदेश में कोडीनयुक्त कफ सिरप की आपूर्ति वास्तविक चिकित्सीय आवश्यकता से कई गुना अधिक पाई गई।

जांच में ऐबोट हेल्थ केयर द्वारा निर्मित फेन्सिडिल की 2.23 करोड़ से अधिक बोतलें, लैबोरेट फार्मास्युटिकल्स द्वारा निर्मित एस्कॉफ की 73 लाख से अधिक बोतलें तथा अन्य कंपनियों द्वारा निर्मित लगभग 25 लाख बोतलों की आपूर्ति दर्ज मिली, जिनका चिकित्सीय उपयोग प्रमाणित नहीं हो सका।

एफएसडीए ने सीएम और पुलिस को रिपोर्ट सौंपी। बाद में रिपोर्ट के आधार पर पुलिस और एसटीएफ ने 79 अभियोग दर्ज किये। इसमें अब तक 85 अभियुक्तों की गिरफ्तारी की जा चुकी है। वर्तमान में एक्शन चल रहा है। वहीं, मामले में गठित एसआईटी भी जांच कर रही है। जानकारों की मानें तो अगले माह एसआईटी जांच रिपोर्ट सीएम को सौंप सकती है।

मुख्यमंत्री योगी के निर्देश पर एफएसडीए मुख्यालय द्वारा थोक औषधि विक्रय लाइसेंसिंग प्रणाली को और अधिक सख्त व पारदर्शी बनाने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। इसमें थोक प्रतिष्ठान की जीओ टैगिंग, भंडारण क्षमता की पुष्टि और इनकी फोटोग्राफ कराने का प्रस्ताव भेजा गया है। वहीं, प्रतिष्ठान के टेक्निकल पर्सन के अनुभव प्रमाण पत्र को ड्रग इंस्पेक्टर द्वारा सत्यापित करने का भी प्रस्ताव भेजा गया है। कोडीनयुक्त कफ सिरप के निर्माण, बल्क सप्लाई, वितरण एवं निगरानी के लिए भारत सरकार से आवश्यक अधिसूचना एवं दिशा-निर्देश जारी करने के लिए प्रस्ताव भेजा जा रहा है।

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