नई दिल्ली, 25 दिसंबर । दिल्ली के सतर्कता सचिव ने रविवार को स्वास्थ्य सचिव को पत्र लिखकर अस्पतालों के स्टॉक से सभी ‘गैर-मानक दवाओं’ को हटाने के लिए कहा।
दिल्ली स्वास्थ्य सचिव को लिखे अपने पत्र में सतर्कता सचिव ने दिल्ली औषधि परीक्षण प्रयोगशाला द्वारा पेश विभिन्न प्रयोगशाला रिपोर्टों और ‘मानक गुणवत्ता वाली दवाओं के नहीं रहने’ पर सरकार द्वारा अनुमोदित निजी प्रयोगशालाओं द्वारा पेश अन्य रिपोर्टों का भी जिक्र किया।
उन्होंने स्वास्थ्य सचिव से यह सुनिश्चित करने को कहा कि ऐसी सभी दवाएं जो निर्धारित मानदंडों में विफल रही हैं, उनकी मात्रा तुरंत निर्धारित की जानी चाहिए और युद्ध स्तर पर कानून की उचित प्रक्रिया के अनुसार जब्त की जानी चाहिए।
सतर्कता सचिव ने कहा, “ऐसी कंपनियों को कोई और भुगतान नहीं किया जाता है। मानक गुणवत्ता की जांच में फेल सभी दवाओं की तुरंत पहचान की जा सकती है और उन सभी अस्पतालों के स्टॉक से हटा दिया जाना चाहिए, जहां ऐसी दवाओं की आपूर्ति की गई है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आम जनता को ऐसी दवाएं न दी जाएं।”
उन्होंने स्वास्थ्य सचिव से यह भी स्पष्ट करने को कहा कि इन दवाओं की खरीद और आपूर्ति कब से की जा रही है और इन कंपनियों और निर्माताओं को अब तक कितना भुगतान किया गया है और कितना भुगतान लंबित है।
उन्होंने अपने पत्र में लिखा, “इसके अलावा, आपसे अनुरोध है कि अन्य बातों के साथ-साथ निविदा दस्तावेजों और उससे संबंधित फाइलों सहित दवाओं की खरीद से संबंधित सभी दस्तावेजों को अपने कब्जे में लें और उनकी मूल प्रति सतर्कता निदेशालय को 26 दिसंबर तक या उससे पहले उपलब्ध कराएं।”
उन्होंने स्वास्थ्य सचिव से उपरोक्त विफल दवाओं के संबंध में आपूर्ति के निष्पादन के लिए डीलरों या वितरकों की नियुक्ति के नियम और शर्तें प्रदान करने के लिए भी कहा।
सतर्कता सचिव ने अगले 48 घंटों के भीतर की गई कार्रवाई रिपोर्ट भी सौंपने को कहा है।
दिल्ली सरकार के अस्पतालों में खरीदी और आपूर्ति की गई गैर-मानक दवाओं के मामले में एलजी वीके सक्सेना द्वारा केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जांच की सिफारिश करने के बाद दिल्ली में एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया।
अधिकारियों के अनुसार, सक्सेना ने मुख्य सचिव को लिखे अपने नोट में उल्लेख किया है कि यह चिंताजनक है कि ये दवाएं लाखों मरीजों को दी जा रही हैं।
उपराज्यपाल ने खरीद में भारी बजटीय आवंटन पर भी चिंता जताई।
दिल्ली सरकार ने भी शनिवार को पलटवार करते हुए कहा कि वह पहले ही अधिकारी के खिलाफ उपराज्यपाल से शिकायत कर चुकी है।
सूत्र ने बताया कि फरिश्ते योजना को बंद करने वाले अधिकारी स्वास्थ्य सचिव दीपक कुमार ही थे।
सूत्र ने यह भी कहा कि यह पहले अधिकारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गया था।