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अमेरिकी विदेश मंत्री के सोल दौरे के दौरान उत्तर कोरिया ने दागी मिसाइल

North Korea fired missile during US Secretary of State's visit to Seoul

 

सोल, उत्तर कोरिया ने सोमवार को पूर्वी सागर में एक संदिग्ध हाइपरसोनिक मिसाइल दागी। यह दावा दक्षिण कोरियाई सेना ने किया है। इसे अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण से पहले नए साल में प्योंयांग की पहली उकसावे वाली कार्रवाई माना जा रहा है।

संयुक्त चीफ ऑफ स्टाफ (जेसीएस) ने कहा कि उसे लगभग 12 बजे प्योंगयांग क्षेत्र से संदिग्ध मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल (आईआरबीएम) के प्रक्षेपण का पता लगा। यह पानी में गिरने से पहले लगभग 1,100 किलोमीटर तक उड़ी।

जेसीएस के एक अधिकारी ने बताया कि मिसाइल की फ्लाइट रेंज आईआरबीएम की आमतौर पर कवर की जाने वाली 3,000 से 5,500 किलोमीटर से कम है। इसमें उत्तर कोरिया की तरफ से पिछले साल जनवरी और अप्रैल में लॉन्च की गई मध्यम दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइलों जैसे खासियतें हो सकती है।

नवीनतम प्रक्षेपण ऐसे समय में हुआ है जब अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन दक्षिण कोरिया के दौरे पर हैं। वह दक्षिण कोरिया में राष्ट्रपति यून सुक योल के मार्शल लॉ लागू करने से उपजे राजनीतिक उथल-पुथल और उत्तर कोरियाई खतरों के बीच सोल आए हैं।

मीडिया रिपोट्स में दावा किया गया कि ब्लिंकन की दक्षिण कोरिया के कार्यवाहक राष्ट्रपति चोई सांग-मोक से मुलाकात के तुरंत बाद दोपहर के समय मिसाइल को पूर्व की ओर प्रक्षेपित किया गया।

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन 4-9 जनवरी के बीच दक्षिण कोरिया, जापान और फ्रांस की यात्रा पर रहेंगे। यह उनके कार्यकाल की अंतिम विदेश यात्रा होगी।

योनहाप समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण कोरियाई अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि उत्तर कोरिया सैन्य गतिविधि के जरिए राजनीतिक संकट का लाभ उठा सकता है और सीमा पार तनाव बढ़ा सकता है।

उत्तर कोरिया ने यह मिसाइल डोनाल्ड ट्रंप के 20 जनवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने से दो सप्ताह पहले दागी है।

उत्तर कोरिया ने पिछली बार 5 नवंबर को (अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले ) पूर्वी सागर में कई छोटी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें दागी थीं।

वर्ष के अंत में आयोजित एक पार्टी बैठक में उत्तर कोरिया ने ऐलान किया था कि वह अमेरिका के प्रति ‘सबसे कठोर’ जवाबी रणनीति अपनाएगा। उसने दावा किया कि दक्षिण कोरिया, अमेरिका और जापान के बीच सैन्य सहयोग ‘आक्रामकता के लिए सैन्य गुट’ के रूप में विस्तारित हो गया है।

 

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