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पूरा कूड़ा नहीं उठाया गया, सोलन नगर निगम को नोटिस जारी

Not all garbage collected, notice issued to Solan Municipal Corporation

सोलन, 26 अगस्त सोलन नगर निगम (एमसी) के लिए विरासती कचरा प्रबंधन एक बड़ा सिरदर्द बन गया है। नगर निगम जिले के सलोगरा गांव में अपने संयंत्र से विरासती कचरे के पूरे ढेर को उठाने में विफल रहा है, जबकि कई समय सीमाएं बीत चुकी हैं।

नगर निगम ने पिछले कई सालों से डंप किए गए पुराने कचरे को संसाधित करने के लिए दिसंबर 2022 में एक ठेकेदार को काम पर रखा था। ठेकेदार को कचरे को संसाधित करने के बाद उसका वैज्ञानिक तरीके से निपटान सुनिश्चित करना था और साथ ही नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्रों से एकत्र किए गए ताजा ठोस कचरे का समयबद्ध तरीके से निपटान करना था।

यह डंप साइट पिछले 40 सालों से काम कर रही है। डंपिंग, पृथक्करण और कचरे के वैज्ञानिक निपटान में अंतराल के कारण वहां कचरा बिखरा हुआ देखा जा सकता है। इससे इलाके में दुर्गंध भी फैल रही है।

इस वर्ष फरवरी के अंत तक कचरा उठाया जाना था, लेकिन समय सीमा 14 मई तक टाल दी गई। 28 जून को सलोगरा स्थल के निरीक्षण के दौरान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) के अधिकारियों ने पाया कि कचरे का एक बड़ा हिस्सा अभी भी वहां डंप किया गया था।

एसपीसीबी अधिकारियों ने पाया कि साइट पर कोई लीचेट ट्रीटमेंट सुविधा उपलब्ध नहीं थी। अपशिष्ट को पूरी तरह से ढका नहीं गया था और इसलिए मानसून के मौसम में इसके रिसाव से सतह के साथ-साथ भूजल स्रोतों में भी प्रदूषण हो सकता है।

इसके अलावा, ठोस अपशिष्ट के रिसाव को रोकने के लिए साइट पर कोई वैज्ञानिक संग्रह, चैनलिंग और उपचार सुविधा नहीं थी। साइट पर आवारा मवेशी, तीखी गंध और मक्खियाँ पाई गईं, जिससे पता चलता है कि क्षेत्र में जल प्रदूषण को रोकने के लिए कोई उपाय नहीं किए गए हैं।

साइट का निरीक्षण करने वाले अधिकारियों के अनुसार, कचरे के वैज्ञानिक निपटान में लगे कर्मचारियों के लिए दस्ताने, उपयुक्त जूते, मास्क, फ्लोरोसेंट जैकेट आदि जैसे व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण भी उपलब्ध नहीं कराए गए थे।

सोलन की अतिरिक्त नगर आयुक्त प्रियंका चंद्रा ने बताया कि पुराने कचरे को हटाया जा रहा है और अब तक 70,600 टन कचरा हटाया जा चुका है। उन्होंने बताया कि कचरे को आगे इस्तेमाल के लिए ईंधन में बदल दिया गया है।

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, परवाणू के क्षेत्रीय अधिकारी अनिल राव ने कहा कि विरासत में मिले कचरे के वैज्ञानिक प्रबंधन के लिए नगर निकाय को कई कारण बताओ नोटिस जारी किए गए थे, लेकिन यह पर्यावरण संरक्षण कानूनों और नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त कदम उठाने में विफल रहा है।

उन्होंने कहा कि नगर निकाय को सभी मानदंडों का यथाशीघ्र अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं, ऐसा न करने पर उसे जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 तथा पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के उल्लंघन के लिए कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा, साथ ही पर्यावरण क्षतिपूर्ति भी लगाई जाएगी।

कोई वैज्ञानिक कचरा संग्रहण, उपचार नहीं कचरे को फरवरी के अंत तक उठाया जाना था, लेकिन समय सीमा बढ़ाकर 14 मई कर दी गई। 28 जून को सलोगरा साइट केनिरीक्षण के दौरान, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड(एसपीसीबी) के अधिकारियों ने पाया कि कचरे का एक बड़ा हिस्सा अभी भी वहां डंप किया गया था। सलोगरा स्थल पर अपशिष्ट के रिसाव को रोकने के लिए कोई वैज्ञानिक संग्रहण, चैनलिंग और उपचार सुविधा नहीं थी

मौके पर आवारा मवेशी, तीखी गंध और मक्खियां पाई गईं, जिससे पता चलता है कि क्षेत्र में जल प्रदूषण को रोकने के लिए कोई उपाय नहीं किए गए हैं
कचरे के वैज्ञानिक निपटान में लगे कर्मचारियों के लिए दस्ताने, उपयुक्त जूते, मास्क, फ्लोरोसेंट जैकेट आदि जैसे व्यक्तिगत सुरक्षात्मक उपकरण भी उपलब्ध नहीं कराए गए थे।

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