September 17, 2025
National

काशी ही नहीं, रामेश्वरम भी मोक्ष का द्वार, लंका विजय के बाद श्रीराम ने भी यहीं की थी पूजा

Not only Kashi, Rameshwaram is also the gateway to salvation; after conquering Lanka, Lord Rama also worshipped here.

रामेश्वरम हिंदू धर्म का एक अत्यंत पवित्र और आध्यात्मिक तीर्थस्थान है, जो तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है। इसे चार धामों में से एक माना जाता है। यहां स्थित रामनाथस्वामी मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है।

धार्मिक मान्यता है कि इस स्थान पर किए गए श्राद्ध, तर्पण और पितृ दोष शांति महापूजा से पूर्वजों की आत्मा को शांति और मोक्ष मिलता है। साथ ही, श्रद्धालु को जीवन में सुख-समृद्धि, मानसिक शांति और पारिवारिक सामंजस्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्रीराम ने लंका विजय के बाद अपने पितरों की शांति और ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए रामेश्वरम में भगवान शिव की पूजा की थी।

उन्होंने समुद्र तट पर शिवलिंग स्थापित किया और यहीं पर अपने पूर्वजों के लिए श्राद्ध कर्म किया। यही कारण है कि रामेश्वरम को पितृ दोष शांति और श्राद्ध कर्म के लिए सर्वोत्तम स्थान माना जाता है।

पितृ पक्ष के दौरान यहां तिल तर्पण और पिंडदान का विशेष महत्व है। शास्त्रों में वर्णन मिलता है कि तिल, जल और कुशा के साथ किया गया तर्पण पूर्वजों की आत्मा को तृप्त करता है। यह अनुष्ठान कृतज्ञता और श्रद्धा का प्रतीक है, जो पितरों के प्रति सम्मान प्रकट करता है।

मान्यता है कि तिल तर्पण से पितृ दोष के दुष्प्रभाव कम होते हैं, जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और परिवार में सुख-समृद्धि आती है। खासकर महालया अमावस्या पर किया गया श्राद्ध अत्यंत फलदायी माना जाता है। इस दिन पितरों की आत्माएं धरती पर आती हैं और श्रद्धा से किए गए कर्मकांड स्वीकार कर आशीर्वाद देती हैं।

एक कथा के अनुसार, हनुमान जी कैलाश से शिवलिंग लाने गए थे, लेकिन देर होने पर माता सीता ने रेत से शिवलिंग बनाकर उसकी स्थापना की। इसी शिवलिंग को ‘रामनाथ’ कहा जाता है। यही मंदिर आज रामनाथस्वामी मंदिर के रूप में प्रसिद्ध है, जो अपने विशाल गलियारों और अद्भुत स्थापत्य कला के लिए भी जाना जाता है।

रामेश्वरम में 24 पवित्र तीर्थकुंड हैं, जिन्हें भगवान राम ने अपने बाणों से बनाया था। इन कुंडों के जल को बेहद पवित्र माना जाता है और श्रद्धालु श्राद्ध कर्म से पहले यहां स्नान करके स्वयं को शुद्ध करते हैं।

इसी के साथ रामेश्वरम का समुद्र तटीय क्षेत्र और राम सेतु (आदि-सेतु) भी अत्यधिक धार्मिक महत्व रखते हैं। समुद्र में आज भी उस सेतु के अवशेष दिखाई देते हैं, जो भगवान राम और वानर सेना ने लंका तक पहुंचने के लिए बनाया था।

धार्मिक दृष्टि से रामेश्वरम को दक्षिण भारत का काशी कहा जाता है। यहां श्राद्ध कर्म करना जीवन की नकारात्मकताओं को दूर करने और पितरों का आशीर्वाद पाने का श्रेष्ठ साधन माना गया है। भक्तगण यहां आकर न केवल अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं, बल्कि भगवान शिव और भगवान राम की पूजा कर मोक्ष की कामना भी करते हैं।

Leave feedback about this

  • Service