बिहार की मतदाता सूची में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का मुद्दा गरमाया हुआ है। विपक्षी सांसद सरकार से संसद के मानसून सत्र में एसआईआर पर चर्चा की मांग कर रहे हैं। वे चर्चा नहीं कराने के लिए सरकार पर निशाना साध रहे हैं।
समाजवादी पार्टी प्रमुख एवं लोकसभा सांसद अखिलेश यादव ने एसआईआर मुद्दे पर कहा, “लोकतंत्र तभी मजबूत होगा, जब हर कोई अपने मताधिकार का प्रयोग करेगा। लेकिन, जब यह मताधिकार ही छीन लिया जाएगा तो फिर हम अपनी आवाज कहां उठाएं?”
सीपीआई के राज्यसभा सांसद पी. संतोष कुमार ने कहा, “भाजपा और उसके तथाकथित सहयोगियों को छोड़कर सभी राजनीतिक दल एसआईआर का विरोध कर रहे हैं। बिहार चुनाव के लिए चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित मतदाता सूची एसआईआर का ही परिणाम है। इसलिए, हम चाहते हैं कि सभी पात्र मतदाताओं को सूची में शामिल किया जाए।”
कांग्रेस सांसद प्रणीति शिंदे ने कहा, “एसआईआर मुद्दे पर हमारा विरोध कई दिनों से चल रहा है। हम बस चर्चा की मांग कर रहे हैं, लेकिन भाजपा हर दिन लोकतंत्र की हत्या कर रही है। एसआईआर और मतदाता सूची से संबंधित इतना बड़ा घोटाला होने के बावजूद एक साधारण चर्चा भी करने को तैयार नहीं हैं। लोकतंत्र पर इससे बड़ा हमला और क्या हो सकता है?”
कांग्रेस सांसद कार्ति पी. चिदंबरम ने आईएएनएस से कहा, “एसआईआर एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है। यह लोगों को मताधिकार से वंचित कर रहा है। यह अन्य राज्यों, विशेष रूप से तमिलनाडु में प्रवासी श्रमिकों को मतदाता सूची में जोड़ने की एक शैतानी साजिश भी है।”
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा, “चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं। अगर चुनाव आयोग मनमाने तरीके से काम करेगा तो लोकतंत्र नहीं बचेगा।”
उल्लेखनीय है कि बिहार में इस वर्ष चुनाव होने हैं। वहीं, चुनाव आयोग ने बिहार की मतदाता सूची में विशेष गहन पुनरीक्षण कराया। विपक्ष एसआईआर का विरोध कर रही है और सरकार पर मतदाता सूची में गड़बड़ी करने का आरोप लगा रही है।
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