झारखंड विधानसभा के पूरक मानसून सत्र के चौथे और अंतिम दिन विपक्ष ने सरकार को विभिन्न मुद्दों पर घेरते हुए सदन के भीतर और बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों ने झारखंड विश्वविद्यालय विधेयक-2025 को राज्यपाल के संवैधानिक अधिकारों पर हमला करार देते हुए इसे वापस लेने की मांग की।
विपक्ष का आरोप था कि सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे अहम विषयों पर राजनीतिक पूर्वाग्रह से फैसले ले रही है। सुबह 11 बजकर 8 मिनट पर कार्यवाही शुरू होते ही सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही वेल में आ गए और नारेबाजी करने लगे। हंगामे की वजह से प्रश्नकाल बाधित हुआ और स्पीकर ने नाराजगी जताई।
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि लगातार हंगामे से एक भी दिन प्रश्नकाल नहीं चल पाया है, आगे यदि यही स्थिति रही तो प्रश्न स्वीकार करने पर भी विचार करना पड़ेगा। बावजूद इसके हंगामा थमा नहीं और सदन की कार्यवाही अपराह्न 12 बजे तक स्थगित करनी पड़ी। हालांकि हंगामे के बीच कांग्रेस के के प्रदीप यादव ने सदन में दिग्गज आदिवासी नेता शिबू सोरेन को भारत रत्न देने की मांग रखी।
उन्होंने विधानसभा परिसर में डॉ. भीमराव अंबेडकर, सिद्धू-कान्हू और शिबू सोरेन की प्रतिमा लगाने का भी प्रस्ताव रखा। नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने मीडिया से कहा कि सत्र की शुरुआत से ही विपक्ष जनहित के मुद्दों को उठा रहा है, लेकिन सरकार “तानाशाही रवैया” अपनाए हुए है।
उन्होंने गोड्डा के सूर्या हांसदा एनकाउंटर की सीबीआई जांच की मांग दोहराई और आरोप लगाया कि एक निर्दोष आदिवासी सामाजिक कार्यकर्ता की फर्जी मुठभेड़ में हत्या कर दी गई।
मरांडी ने रांची के नगड़ी में रिम्स टू हॉस्पिटल परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण का भी मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि सरकार आदिवासियों और रैयतों की जमीन जबरन छीन रही है। 24 अगस्त को किसानों के प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस का प्रयोग किया और बाद में 85 किसानों पर प्राथमिकी दर्ज कर दी। मरांडी ने मांग की कि किसानों को उनकी जमीन लौटाई जाए।