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जेपीसी की बैठक की तारीख और एजेंडा बदलने पर खफा हुए विपक्षी सांसद

Opposition MPs upset over changing date and agenda of JPC meeting

वक्फ संशोधन विधेयक पर गठित जेपीसी की बैठक से शुक्रवार को निलंबित सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखा है। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि जेपीसी से निलंबित किए गए सदस्यों में विभिन्न राजनीतिक दलों के वरिष्ठ सांसद मौजूद हैं, जिनके पास व्यापक अनुभव है। वे कई समितियों में शामिल हो चुके हैं और उनमें से कई पहले भी विभिन्न जेपीसी के सदस्य रह चुके हैं। वे इसके नियमों और प्रक्रियाओं से अच्छी तरह वाकिफ हैं। हालांकि, हमने कभी ऐसा जेपीसी नहीं देखा, जिसमें 10 सदस्यों को एक साथ निलंबित किया गया हो।

गौरव गोगोई ने कहा, “हमने संसद में देखा था जब एक दिन में 140 सांसदों को निलंबित किया गया था। आज वह प्रक्रिया संसद की कमेटी में देखने को मिली। बार-बार हम देखते आ रहे हैं कि अचानक बिना किसी नोटिस के बैठक की तारीख आ जाती है। अचानक बैठक का एजेंडा का बदल दिया जाता है। जेपीसी की बैठकों में जो सवाल हमने रखे उनके जवाब भी नहीं आए हैं और दोबारा बैठक बुला ली गई। फिर उन बैठकों का क्या, जो हमने हितधारकों के साथ की।”

उन्होंने कहा कि विपक्षी सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष के नाम एक चिट्ठी लिखी है जिसमें सारा विवरण है।

हैदराबाद से लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सहमति जताते हुए कहा कि कांग्रेस नेता ने जो कहा है वह सत्य पर आधारित है। वक्फ संशोधन विधेयक एक बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है। अगर सरकार इसे जबरन थोपने की कोशिश करती है और संयुक्त कार्य समिति के माध्यम से इसे सीधे संसद में लाने की कोशिश करती है, तो इसके कानूनी और सामाजिक दोनों ही तरह से गंभीर नकारात्मक परिणाम होंगे। अगर सरकार जल्दबाजी में है, तो इसके और भी बुरे परिणाम होंगे। इस प्रक्रिया को सावधानी और सतर्कता से किया जाना चाहिए, क्योंकि इस विधेयक को बिना उचित विचार-विमर्श के पारित करने से समाज और इसके आसपास के कानूनी ढांचे को ही नुकसान होगा।

बता दें कि जेपीसी में शामिल विपक्षी सांसदों ने शुक्रवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को एक पत्र लिखकर समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल के कामकाज के तौर-तरीकों पर सवाल उठाए हैं और 27 जनवरी की प्रस्तावित बैठक स्थगित करने की मांग की है। पत्र में लिखा गया है कि जगदंबिका पाल मनमाने तरीके से बैठकों की तारीखें बदलते रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि शुक्रवार को हुई बैठक में जब समिति में शामिल विपक्षी सांसदों ने इस पर आपत्ति जताई और अपनी बात रखने के लिए खड़े हुए तो उन्होंने विपक्ष के 10 सदस्यों को निलंबित कर दिया।

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