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विपक्षी दल बोले वक्फ बिल कमजोर, मिलिंद देवड़ा का जवाब ‘महिलाओं और अल्पसंख्यकों को मिलेगा लाभ’

Opposition parties said Wakf Bill is weak, Milind Deora replied 'Women and minorities will benefit'

वक्फ संशोधन बिल राज्यसभा से पास होने पर विपक्षी दलों ने कहा कि भले ही यह दोनों सदनों से पास हो गया हो, लेकिन संवैधानिक रूप से यह बहुत ही कमजोर बिल है।

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि यह बिल अदालत में टिक नहीं पाएगा और इससे किसी को कोई फायदा नहीं होगा। तन्खा ने इसे लागू करने की प्रक्रिया और इसके प्रभाव पर भी सवाल उठाए।

वहीं, माकपा के राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास ने कहा कि बिल पास होने के बावजूद विपक्ष ने पूरे देश में यह संदेश देने में सफलता हासिल की है कि वह एकजुट है।

उन्होंने केंद्र सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए कहा कि विपक्ष लगातार इसके खिलाफ लड़ाई जारी रखेगा। ब्रिटास ने इसे जनता के हितों के खिलाफ बताया और विपक्ष की एकता को मजबूत करने वाला कदम करार दिया।

समाजवादी पार्टी के नेता जावेद अली खान ने भी बिल की आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह पहले से तय था कि बिल पास हो जाएगा, लेकिन यह असंवैधानिक है।

खान ने कहा कि विपक्ष ने एकजुट होकर तथ्यों को जनता के सामने रखा, लेकिन सरकार ने इसे नजरअंदाज किया। उन्होंने आरोप लगाया कि सत्तापक्ष इसे संवैधानिक जामा पहनाने की कोशिश कर रहा है, जबकि इसके पीछे छिपे इरादे कुछ और हैं।

खान ने यह भी कहा कि सरकार के छोटे नेता खुलेआम इसे अल्पसंख्यकों के खिलाफ बताते हैं, लेकिन बड़े नेता इसे घुमाकर पेश करते हैं।

दूसरी ओर, शिवसेना नेता मिलिंद देवड़ा ने बिल का जोरदार समर्थन किया। उन्होंने कहा कि यह बिल मुसलमानों और अल्पसंख्यकों के हित में है।

देवड़ा ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार में अल्पसंख्यकों की नौकरियों की संख्या दोगुनी हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि हिंदुओं और मुसलमानों के बीच आय का अंतर 87 प्रतिशत तक कम हुआ है।

कश्मीरी मुसलमानों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि धारा 370 हटने के बाद उनकी प्रति व्यक्ति आय दोगुनी हो गई है। देवड़ा ने मुसलमानों से अपील की कि वे इस बिल को अपने हित में समझें। उन्होंने विपक्ष पर अवसरवादी राजनीति करने और अल्पसंख्यकों में डर पैदा करने का आरोप लगाया।

उनके मुताबिक, यह बिल ऐतिहासिक और सकारात्मक कदम है, खासकर महिलाओं और अल्पसंख्यकों के लिए।

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