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‘विपक्ष को सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा रखना चाहिए’, विशेष गहन पुनरीक्षण मामले पर भाजपा का तंज

'Opposition should trust Supreme Court', BJP taunts on Special Intensive Review case

बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर जारी विवाद के बीच, भाजपा नेताओं ने इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने और चुनाव आयोग (ईसीआई) पर संदेह जताने के लिए विपक्ष की कड़ी आलोचना की। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पुनरीक्षण प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है, जबकि निष्पक्षता और समावेशिता सुनिश्चित करने के लिए सुझाव जारी किए हैं।

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने शुक्रवार को कहा कि विपक्षी नेता, खासकर मनोज झा सुप्रीम कोर्ट गए। उन्होंने कोर्ट से विशेष गहन पुनरीक्षण पर स्टे लगाने की मांग की, लेकिन कोर्ट ने कोई स्टे नहीं लगाया। कोर्ट ने कुछ सुझाव दिए हैं, जो उचित हैं। आखिरी सुनवाई में फैसला आएगा। विपक्षी नेताओं को भी सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा रखना चाहिए। ये लोग उस पर भी बयान देते हैं। जब ये कहीं चुनाव जीतते हैं तो चुनाव आयोग अच्छा होता है और जब हारते हैं तो चुनाव आयोग पर निशाना साधते हैं।

वहीं, पार्टी का पक्ष रखते हुए भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि चुनाव आयोग अपने संवैधानिक अधिकारों के तहत काम कर रहा है। पहले लोग इसे पूरी तरह से नहीं समझते थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, अब यह स्पष्ट है कि आयोग को विशेष संशोधन करने का पूरा अधिकार है। राजनीतिक दलों को अब इस मुद्दे का राजनीतिकरण करना बंद कर देना चाहिए और इसके बजाय यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बिहार में वास्तविक मतदाता अपने मताधिकार से वंचित न हों।

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि वह आधार कार्ड, मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) और राशन कार्ड को मतदाता पंजीकरण के लिए वैध दस्तावेज माने। न्यायालय ने कहा कि 11 स्वीकार्य दस्तावेजों की आधिकारिक सूची संपूर्ण नहीं है।

राजद सांसद मनोज झा ने इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि बिहार में चल रहे मतदाता सत्यापन अभियान से हाशिए पर पड़े समुदायों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

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