March 29, 2025
National

कर्नाटक में जातिगत जनगणना लागू करने के लिए उत्पीड़ित और अल्पसंख्यक वर्ग करेंगे रैली

Oppressed and minority groups will rally to implement caste census in Karnataka

बेंगलुरु, 27 दिसंबर । कर्नाटक में लिंगायत सम्मेलन के बाद, जाति आधारित जनगणना रिपोर्ट को स्वीकार नहीं करने के लिए सरकार पर ‘दबाव’ डाल रही प्रभावशाली जातियों का उत्पीड़ित वर्ग और अल्पसंख्यक मुकाबला करने की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए इन वर्गों ने चित्रदुर्ग शहर में एक विशाल रैली आयोजित करने का फैसला किया है।

सूत्रों ने पुष्टि की कि अल्पसंख्याक, हिंदुलिदा (पिछड़े) और दलित समुदायों के अहिंदा समूह ने 28 जनवरी को एक विशाल रैली आयोजित करने का फैसला किया है। साथ ही कांग्रेस सरकार से जाति आधारित जनगणना रिपोर्ट को पूरी तरह से लागू करने का आग्रह किया है।

सम्मेलन में मुख्यमंत्री सिद्दारमैया को आमंत्रित करने और अल्पसंख्यक समुदायों, अनुसूचित जाति तथा जनजाति एवं अन्य के सभी शीर्ष नेताओं की भागीदारी सुनिश्चित करने का फैसला लिया गया है।

सम्मेलन में जाति आधारित जनगणना को पूरी तरह से लागू करने और केंद्र सरकार से सामाजिक, शैक्षणिक व आर्थिक मापदंडों पर जाति सर्वे कराने की मांग की जाएगी।

सम्मेलन में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण रद्द करने, महिला आरक्षण विधेयक को तत्काल लागू करने, राजनीति में आंतरिक आरक्षण, जनसंख्या के अनुपात के अनुसार आरक्षण बढ़ाने और निजी क्षेत्र में आरक्षण का विस्तार करने की भी मांग की जाएगी।

यह घटनाक्रम दावणगेरे सम्मेलन में लिंगायत समुदाय द्वारा शक्ति प्रदर्शन के बाद आया है, जिसमें अपील की गई थी कि जाति आधारित जनगणना रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए। वोक्कालिगा समुदाय ने कर्नाटक की कांग्रेस सरकार को जाति आधारित जनगणना रिपोर्ट स्वीकार नहीं करने को कहा है।

केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने शुक्रवार को कहा था कि कर्नाटक सरकार के पास जाति आधारित जनगणना कराने का कोई अधिकार नहीं है।

भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री वी. सुनील कुमार ने कहा था कि यदि मुख्यमंत्री सिद्दारमैया वास्तव में सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, तो उन्हें जांच के लिए जाति आधारित जनगणना रिपोर्ट सीबीआई को सौंप देनी चाहिए।

सूत्रों के मुताबिक, रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में एससी और एसटी समूह बहुमत में हैं, उसके बाद मुस्लिम हैं।

सूत्रों ने कहा कि बहुसंख्यक आबादी माने जाने वाले लिंगायतों को तीसरे सबसे बड़े समूह के रूप में दिखाया गया है, जबकि वोक्कालिगा, जिन्हें दूसरे स्थान पर माना जाता था, को चौथे स्थान पर दिखाया गया है।

इससे राज्य में एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया क्योंकि मुस्लिम समुदाय को कर्नाटक में दूसरी सबसे बड़ी आबादी के रूप में दिखाया गया था।

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