सामाजिक जिम्मेदारी के एक उल्लेखनीय संकेत में, पूर्व सेना प्रमुख (1997-2000) और कारगिल युद्ध के एक प्रतिष्ठित नेता जनरल वीपी मलिक (सेवानिवृत्त) ने यहां पीजीआईएमईआर में क्षेत्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (आरओटीटीओ) उत्तर द्वारा आयोजित अंग दान जागरूकता शिविर के दौरान अपने अंग दान करने की शपथ ली।
यह कार्यक्रम राष्ट्रव्यापी जन जागरूकता अभियान ‘विश्व फिजियोथेरेपी माह’ के अंतिम दिन आयोजित किया गया। यह कारगिल विजय दिवस की रजत जयंती को समर्पित ‘मिशन जीवन रेखा’ के तहत आयोजित किया गया था।
कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों के साहस को याद करते हुए जनरल मलिक ने कहा, “मैंने हमेशा अपने देश की हर संभव तरीके से सेवा करने में विश्वास किया है। अपने अंगों को दान करना मेरे जीवनकाल के बाद भी इस सेवा को जारी रखने का एक तरीका है। यह जानकर मुझे बहुत संतुष्टि और शांति मिलती है कि मैं जाने के बाद भी लोगों की जान बचाने में मदद कर सकता हूँ। मैं हर नागरिक को अंगदान को परम दयालुता और करुणा का कार्य मानने के लिए प्रोत्साहित करता हूँ।”
शिविर में ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर सुचेत सचदेव और प्रोफेसर हरिकृष्ण, ऑर्थोपैडिक्स के प्रोफेसर हिमांशु भयाना और नव्य भारत फाउंडेशन के अध्यक्ष और संस्थापक तथा पीजीआईएमईआर के फिजियोथेरेपिस्ट डॉ अनिरुद्ध उनियाल उपस्थित थे।