N1Live National हमारे हितों का किसी अन्य देश के हितों से टकराव नहीं है : राजनाथ सिंह
National

हमारे हितों का किसी अन्य देश के हितों से टकराव नहीं है : राजनाथ सिंह

Our interests do not conflict with the interests of any other country: Rajnath Singh

नई दिल्ली, 5 अक्टूबर । भारत-प्रशांत क्षेत्र का जिक्र करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि समुद्री सहयोग के लिए भारत का प्रयास जारी है। भारत के हित किसी अन्य देश के साथ टकराव में नहीं हैं। किसी भी राष्ट्र के हितों का अन्य राष्ट्रों के साथ टकराव नहीं होना चाहिए। इसी भावना से हमें मिलकर काम करना चाहिए।

राजनाथ सिंह शुक्रवार को नई दिल्ली में भारत-प्रशांत क्षेत्रीय वार्ता (आईपीआरडी) 2024 को संबोधित कर रहे थे। रक्षा मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सच्ची प्रगति केवल सामूहिक कार्रवाई और तालमेल के माध्यम से ही प्राप्त की जा सकती है। इन प्रयासों के कारण, अब भारत देश को इस क्षेत्र में एक विश्वसनीय और पसंदीदा सुरक्षा साझेदार और पहली प्रतिक्रिया देने वाले के रूप में देखा जाता है।

राजनाथ सिंह ने नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था, अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रति सम्मान और संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मेलन में निहित सिद्धांतों के पालन के प्रति भारत के अटूट संकल्प को दोहराया। उन्होंने कहा, “भारत ने विवादों के शांतिपूर्ण समाधान का लगातार समर्थन किया है। क्षेत्रीय संवाद, स्थिरता और सामूहिक विकास को बढ़ावा देने में आसियान की केंद्रीयता पर जोर देते हुए भारत-प्रशांत क्षेत्र के देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा दिया है।”

रक्षा मंत्री ने कहा कि तेजी से विकसित हो रहा वैश्विक समुद्री परिदृश्य, बदलते शक्ति समीकरण, संसाधन प्रतिस्पर्धा और उभरते सुरक्षा खतरों से निर्धारित हो रहा है। उन्होंने कहा, “भारत-प्रशांत क्षेत्र दुनिया के सबसे गतिशील भू-राजनीतिक क्षेत्र के रूप में उभरा है। यह आर्थिक और सामरिक हितों का केंद्र है। इसमें पहले से मौजूद अंतरराष्ट्रीय तनाव, प्रतिद्वंद्विता और संघर्ष की भी एक हद तक मौजूदगी है। जहां कुछ चुनौतियां स्थानीय प्रकृति की हैं, वहीं कई चुनौतियों का वैश्विक प्रभाव है। समुद्री संसाधनों के संदर्भ में, हम भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा में उल्लेखनीय वृद्धि देख रहे हैं। जैसे-जैसे आबादी बढ़ती जा रही है, समुद्री संसाधनों की मांग में भी वृद्धि हो रही है, इससे देशों के बीच तनाव और प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है।”

राजनाथ सिंह ने कहा, ‘पर्यावरणीय क्षरण, कुछ संसाधनों का अत्यधिक दोहन और बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव सहित इस त्रासदी के सबूत पहले से ही दिखाई दे रहे हैं। हम हाल के वर्षों में संघर्ष की स्थानीय घटनाओं और अंतरराष्ट्रीय तनाव की व्यापक अंतर्धारा को देख रहे हैं। जैसे-जैसे दुनिया, औद्योगिक दुनिया से तकनीकी दुनिया में बदल रही है, जीवाश्म ईंधन आधारित अर्थव्यवस्था से नवीकरणीय ऊर्जा की ओर बढ़ रही है, यह खतरा और बढ़ेगा, जब तक कि हम संभावित नुकसान को नियंत्रित करने के लिए पहले से ही कदम नहीं उठाएंगे।

रक्षा मंत्री ने रणनीतिक कारणों से महत्वपूर्ण संसाधनों पर एकाधिकार करने और उन्हें हथियार बनाने के कुछ प्रयासों पर चिंता व्यक्त की। इन प्रवृत्तियों को वैश्विक भलाई के प्रतिकूल बताया। उन्होंने राष्ट्रों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और सौहार्द को रेखांकित किया, और समुद्री संसाधनों की खोज और प्रबंधन में आगे बढ़ने के तरीके के रूप में प्रकृति के साथ सामंजस्य में मानव जाति के सहजीवी अस्तित्व के प्राचीन भारतीय दर्शन का उदाहरण दिया।

वहीं नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने भारत के आर्थिक विकास और सुरक्षा के लिए समुद्री क्षेत्रों, विशेष रूप से भारत-प्रशांत क्षेत्र की प्रासंगिकता पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत की समुद्री नीति सागर ने क्षेत्र में सभी के लिए सामूहिक समृद्धि और सुरक्षा की परिकल्पना की है। उन्होंने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के प्रमुख साधन के रूप में भागीदारी और सहयोग की बात कही।

Exit mobile version