January 21, 2025
National

जेब से होने वाला स्वास्थ्य व्यय घटकर 2021-22 में 39.4 प्रतिशत रहा: नीति आयोग

Out-of-pocket health expenditure declined to 39.4 percent in 2021-22: NITI Aayog

नई दिल्ली, 26 सितंबर । जेब से होने वाले स्वास्थ्य व्यय में हाल के वर्षों में काफी कमी देखने को मिली है। यह 2021-22 में गिरकर 39.4 प्रतिशत रहा, जो कि 2013-14 में 64.2 प्रतिशत पर था। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉक्टर वीके पॉल की ओर से यह जानकारी दी गई।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के 2020-21 और 2021-22 के नेशनल हेल्थ अकाउंट (एनएचए) के अनुमान जारी करते हुए पॉल ने कहा कि स्वास्थ्य पर जेब होने वाले खर्च में कमी आना एक सकारात्मक संकेत है।

उन्होंने आगे कहा, “आयुष्मान भारत पीएमजेएवाई से 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बचत हुई है और इसका हाल के एनएचए अनुमानों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।”

इसके अलावा उन्होंने कहा कि 2015-16 में लॉन्च की गई फ्री डायलिसिस जैसी स्कीम का फायदा 25 लाख लोगों को मिला है।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने जेब से स्वास्थ्य व्यय घटने को सकारात्मक संकेत बताते हुए कहा कि इस दौरान सरकार द्वारा किए जाने वाले स्वास्थ्य व्यय में भी काफी बढ़ोतरी हुई है।

चंद्रा ने आगे कहा कि यह दिखाता है कि सरकार स्वास्थ्य सेवाओं पर जोर दे रही है। एनएचए के 2021-22 के अनुमान दिखाते हैं कि सरकार का स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च बढ़ा है।

आंकड़ों के मुताबिक, सरकार का स्वास्थ्य पर खर्च (जीएचई) 2021-22 में जीडीपी का 1.84 प्रतिशत रहा, जो कि 2014-15 में 1.13 प्रतिशत था।

इसके अलावा सामान्य सरकारी खर्च (जीजीई) में इसकी हिस्सेदारी बढ़कर 2021-22 में 6.12 प्रतिशत हो गई है, जो कि 2014-15 में 3.94 प्रतिशत थी।

आंकड़ों में बताया गया कि 2019-20 और 2020-21 के बीच स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च में 16.6 प्रतिशत और 2020-21 और 2021-22 के बीच स्वास्थ्य पर खर्च में 37 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।

देश में कुल स्वास्थ्य खर्च में जीएचई की हिस्सेदारी 2021-22 में बढ़कर 48 प्रतिशत की हो गई है, जो कि 2014-15 में 29 प्रतिशत थी। इस दौरान जेब से होने वाले खर्च की हिस्सेदारी 62.6 प्रतिशत से घटकर 39.4 प्रतिशत पर आ गई है।

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