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पद्मश्री पानेवाली पूर्णिमा महतो से कभी कोच ने पूछा था, कोमल हाथों से धनुष की डोरी कैसे खींचोगी?

Padma Shri recipient Purnima Mahato was once asked by the coach, how will you pull the string of the bow with soft hands?

जमशेदपुर,  आठ-नौ साल की लड़की अपने घर के पास के मैदान में तीरंदाजी की प्रैक्टिस करते खिलाड़ियों को देखती तो उसकी भी इच्छा होती कि वह तीर से निशाना लगाए।

उसने मां-पापा के सामने यह ख्वाहिश जाहिर की तो उन्होंने कहा कि पढ़ने-लिखने पर ध्यान लगाओ। लेकिन वह जिद ठान बैठी। आखिरकार पिता उसे तीरंदाजी कोच के पास ले गए। कोच ने उसके हाथों की कोमल मांसपेशियों को छूकर पूछा कि धनुष की प्रत्यंचा (डोरी) कैसे खींचोगी? लड़की का जवाब था- सर, आप मौका दीजिए…मैं कर लूंगी।

आत्मविश्वास से लबरेज वह लड़की आगे चलकर तीरंदाजी की न सिर्फ शानदार प्लेयर बनी, बल्कि इसके बाद कोच के तौर पर देश को कई नेशनल-इंटरनेशनल तीरंदाज दिए।

जमशेदपुर में रहने वाली इस कोच का नाम है पूर्णिमा महतो। सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों पद्मश्री सम्मान ग्रहण करते हुए उनकी आंखें सजल हो उठीं।

80-90 के दशक में शानदार खिलाड़ी रहीं 47 वर्षीया पूर्णिमा महतो कोचिंग के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए द्रोणाचार्य अवॉर्ड से भी सम्मानित हो चुकी हैं।

उन्होंने 1994 में पुणे में हुए नेशनल गेम्स 70 मीटर, 60 मीटर, 50 मीटर, 30 मीटर व ओवरऑल प्रदर्शन के आधार पर कुल छह गोल्ड मेडल अपने नाम किये थे। वह इस टूर्नामेंट में सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी भी चुनी गयीं।

2000 में उन्होंने कोचिंग के क्षेत्र में कदम रखा। उन्हें टाटा आर्चरी एकेडमी का कोच नियुक्त किया गया। तब वह भारतीय टीम व स्टेट टीम को कोचिंग दे रही हैं।

पूर्व विश्व नंबर वन तीरंदाज दीपिका कुमारी, चक्रवोली, राहुल बनर्जी, जयंत तालुकदार, प्राची सिंह, अंकिता भकत, सुष्मिता बिरुली, विनोद स्वांसी जैसे खिलाड़ी पूर्णिमा महतो के शागिर्द हैं। पूर्णिमा महतो भारतीय ओलंपिक टीम की भी कोच रही हैं।

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