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भारत में नापाक हरकतों को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान कर रहा पढ़े-लिखे लोगों का ब्रेनवॉश

Pakistan is brainwashing educated people to carry out nefarious activities in India.

फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी में रह रहे डॉक्टर मुजम्मिल की गिरफ्तारी और एक कमरे से 360 किलो विस्फोटक सामग्री बरामद होने से पूरे देश में सनसनी फैल गई। इस मामले में जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश और फरीदाबाद पुलिस की संयुक्त कार्रवाई से एक बड़ी आतंकी साजिश को समय रहते नाकाम कर दिया गया।

पूर्व डीजीपी डॉ. एसपी वैद ने आईएएएनएस से कहा, “बहुत बड़ा हादसा हो सकता था, लेकिन पुलिस की सतर्कता से एक बड़ी त्रासदी टल गई। फरीदाबाद पुलिस, जम्मू-कश्मीर पुलिस और यूपी पुलिस ने मिलकर शानदार काम किया है। जनता इन अधिकारियों के प्रयासों की सराहना करती है।”

उन्होंने बताया, “यह मामला बेहद चौंकाने वाला है, क्योंकि इसमें डॉक्टर जैसे शिक्षित और सम्मानित पेशेवर आतंकवाद में शामिल पाए गए हैं। पाकिस्तान किस तरह धार्मिक ब्रेनवॉशिंग के जरिए पढ़े-लिखे लोगों को भी अपने जाल में फंसा रहा है, यह उसका जीता-जागता उदाहरण है। चाहे कोई पीएचडी हो, डॉक्टर हो, इंजीनियर हो या किसी कंपनी का वाइस प्रेसीडेंट, किसी को भी अपनी गिरफ्त में ले सकती है।”

डॉ. वैद ने कहा कि यूपी पुलिस की मदद से जम्मू-कश्मीर पुलिस ने डॉक्टर आदिल को गिरफ्तार किया था। आदिल से पूछताछ के दौरान डॉक्टर मुजम्मिल का नाम सामने आया, जिसे फरीदाबाद से गिरफ्तार कर लिया गया। अब तक की जांच में पता चला है कि बरामद 360 किलो अमोनियम नाइट्रेट आईईडी बनाने के लिएसंभालकरर रखी गई थी। इसके साथ ही एक असॉल्ट राइफल और पिस्तौल भी बरामद हुई है। यह सब एक ही बड़ी साजिश का हिस्सा है। अब यह पता लगाना जरूरी है कि यह विस्फोटक किस वाहन से लाया गया, किसने मदद की और देश में ऐसे कितने मॉड्यूल सक्रिय हैं।”

इस बीच रक्षा विशेषज्ञ कैप्टन अनिल गौर (सेवानिवृत्त) ने बताया कि 27 अक्टूबर को कश्मीर घाटी में कुछ पोस्टर लगाए गए थे। जांच में पता चला कि इन्हें डॉक्टर आदिल अहमद नाम के व्यक्ति ने लगाया था। जब उसे गिरफ्तार किया गया और उसका लॉकर खोला गया, तो उसमें एक एके-47 राइफल बरामद हुई। जांच में यह भी सामने आया कि वह जीएमसी श्रीनगर में अक्टूबर 2024 तक रजिस्टर्ड डॉक्टर था। जांच आगे बढ़ी तो जम्मू कश्मीर पुलिस डॉ. मुजम्मिल तक जा पहुंची।”

वहीं पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने कहा, “यह पहली बार है जब अत्यंत शिक्षित पेशेवरों को आतंकियों ने अपने नेटवर्क में शामिल किया है। यह हमारे लिए चेतावनी की घंटी है। मैं खुफिया एजेंसियों और पुलिस को बधाई देता हूं, लेकिन साथ ही यह भी कहना चाहूंगा कि अब खुफिया जानकारी जुटाने और फील्ड ऑपरेशन्स की रणनीति को आधुनिक तकनीक के साथ अपग्रेड करना बेहद जरूरी है। तभी हम इस तरह के कट्टरपंथियों से प्रभावी ढंग से निपट पाएंगे।”

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