इस्लामाबाद, पाकिस्तान का खैबर पख्तूनख्वा एक बार फिर आत्मघाती हमले का शिकार हुआ है। स्थानीय मीडिया के अनुसार, प्रांत के लक्की मरवत जिले में सोमवार को एक सुरक्षा गाड़ी को निशाना बनाया गया। धमाके में एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई और तीन अन्य घायल हो गए।
लक्की मरवत जिला पुलिस अधिकारियों के प्रवक्ता आसिफ हसन ने बताया कि एक आत्मघाती धमाके में ताजोरी पुलिस की गाड़ी को टारगेट किया गया। मरने वाले की पहचान हेड कांस्टेबल अलाउद्दीन के तौर पर हुई है।
पाकिस्तान के मीडिया आउटलेट डॉन ने बताया कि आत्मघाती का साथी मौके से फरार हो गया। पुलिस और सुरक्षा बल कर्मियों ने तलाशी अभियान शुरू कर दिया।
पाकिस्तान में पिछले साल, खासकर खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में, आतंकी गतिविधियों में बढ़ोतरी देखी गई है। नवंबर 2022 में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) सरकार के साथ युद्धविराम समझौता टूट जाने के बाद से इसमें वृद्धि देखी गई है।
हालिया हमलों की बात करें तो 24 नवंबर को, खैबर पख्तूनख्वा के बन्नू जिले के डोमेल में एक लिंक रोड पर हथियारबंद बंदूकधारियों ने पाकिस्तानी सिक्योरिटी फोर्स की गाड़ी को निशाना बनाया था, जिसमें एक सैनिक घायल हो गया था।
एक पुलिसवाले ने बताया था कि घायल सैनिक को बन्नू छावनी के अस्पताल ले जाया गया। डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक सिक्योरिटी फोर्स और पुलिस ने पूरे इलाके में संयुक्त तलाशी अभियान शुरू किया और इस दौरान कई “आतंकी” मारे गए और घायल हुए। दावा किया गया कि सुरक्षाकर्मियों ने मौके से फरार हो रहे हमलावरों को पकड़ने के लिए इलाके को घेर लिया था।
8 नवंबर को, खैबर पख्तूनख्वा की खार तहसील के तांगी इलाके में चेकपोस्ट पर हमला किया गया था जिसमें एक पुलिस अधिकारी घायल हो गया था।
इस बीच, इस्लामाबाद के सेंटर फॉर रिसर्च एंड सिक्योरिटी स्टडीज (सीआरएसएस) ने अपनी नवीनतम सुरक्षा रिपोर्ट में बताया कि पाकिस्तान में 2025 की तीसरी तिमाही में कुल हिंसा में 46 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इस दौरान पाकिस्तान में कम से कम 901 मौतें हुईं और 599 लोग घायल हुए, जिनमें आम जनता, सुरक्षाकर्मी और हमलावर या अपराधी भी शामिल थे। हिंसा की कुल 329 वारदातें हुईं, जिनमें आतंकी हमले और आतंक-विरोधी अभियान भी शामिल हैं।
पाकिस्तान में जनवरी और सितंबर 2024 (क्यू1-क्यू3) के बीच 1,527 मौतें हुईं। 2025 में आंकड़ा बढ़ा और 2,414 मौतों तक पहुंच गया। ये हिंसा में 58 फीसदी की बढ़ोतरी को दर्शाता है। हालांकि, मौतों की वजहों में बड़ा बदलाव दिखा है। 2024 में सिक्योरिटी ऑपरेशन की वजह से 505 मौतें हुईं, जबकि आतंकी हमले की वजह से 1,022 लोग मारे गए थे।
सीआरएसएस रिपोर्ट आगे कहती है: “इस तिमाही में देश में 96 प्रतिशत से ज्यादा हिंसा के मामले खैबर पख्तूनख्वा (केपी) और बलूचिस्तान में रिकॉर्ड हुए, जिससे पता चलता है कि ये सबसे ज्यादा अस्थिर प्रांत रहे। केपी का हाल सबसे बुरा रहा, जहां हिंसा से जुड़ी कुल मौतों में से लगभग 71 प्रतिशत (638) और हिंसा की 67 प्रतिशत (221) से ज्यादा वारदातें हुईं, इसके बाद बलूचिस्तान का नंबर आता है, जहां 25 प्रतिशत से ज्यादा मौतें (230) और वारदातें (85) हुईं। बाकी सभी इलाकों में दर्ज मौतों, घायलों और वारदातों की संख्या काफी कम रही।”

