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‘पीतल’ की चमक बिखेर रहा पटना का परेव गांव, हर घर में बनता है सामान

Patna's Parev village is spreading the glow of 'Brass', stuff is made in every house

पटना, 29 अक्टूबर । देशभर में आज ‘धनतेरस’ का पर्व मनाया जा रहा है। ‘धनतेरस’ के अवसर पर लोग पीतल के सामान की खरीदारी कर रहे हैं। बिहार की राजधानी पटना के नजदीक बसा परेव गांव अपने पीतल के सामान की वजह से सुर्खियां बटोर रहा है।

राजधानी पटना से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित परेव गांव को यहां के लोग ‘पीतल की नगरी’ नाम से जानते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां हर घर में पीतल के बर्तन बनाए जाते हैं। जिसमें घर की महिलाएं भी पूरा सहयोग देती हैं। वो पीतल के बर्तनों को चमकाती हैं। इस इलाके में लोगों की आमदनी का ये प्रमुख जरिया है।

एक फैक्ट्री मालिक रोशन कहते हैं कि परेव गांव को पीतल नगरी के नाम से जाना जाता है, यहां पीतल का सारा सामान बनाया जाता है। मेरे दादा और परदादा के जमाने से यहां पीतल का सामान बनता है। हालांकि, पिछले कुछ समय में पीतल के सामान की मांग में कमी आई है। मैं खुद पांच साल से इस कारोबार को देख रहा हूं।

रोशन पूरी प्रक्रिया का जिक्र करते हैं। कहते हैं, हमारे पास स्क्रैप आता है और उसी को हम लोग भट्टी में गर्म करके गलाते है। फिर अलग-अलग तरह के बर्तन बनाते हैं। इस क्षेत्र में करीब 500 से अधिक कारखाने मौजूद हैं, लेकिन पीतल के सामान के खरीदारों में कमी से रोजगार पर असर पड़ा है। डिमांड गिरी है तो कमाई पर भी फर्क पड़ा है।

स्थानीय निवासी बबीता देवी ने बताया कि हम लोग पिछले 10 सालों से पीतल के सामान को बनाने का काम कर रहे हैं। हमारा काम बर्तन को चमकाना है, यहां अधिकतर पुराने बर्तन लाए जाते हैं, जिसे अच्छी तरह से बनाया और चमकाया जाता है।

मानती हैं कि गांव में इसी रोजगार से घर के चूल्हे जलते हैं। परेव में 300 से अधिक कुटीर उद्योग हैं। इनमें 200 से अधिक कुशल कारीगर काम कर रहे हैं। लगभग 80 फीसदी काम हाथ से ही किया जाता है। बाकि 20 प्रतिशत काम बिजली पर निर्भर है।

स्थानीय निवासी बड़े गर्व से कहते हैं कि हमारे गांव को ‘पीतल नगरी’ के नाम से जाना जाता है, ये काम यहां बहुत पुराना है। हालांकि, पहले की तुलना में पीतल की डिमांड कम हुई है।

तो दुकानदार शुभम कुमार ने दिवाली से पहले काफी उत्साहित हैं। कहते हैं धनतेरस को लेकर तैयारी पूरी कर ली है। स्टेनलेस स्टील के बर्तनों के आ जाने से पीतल के बर्तनों में किसी तरह की बिक्री में कमी नहीं आई है। पीतल का सामान महंगा हो या सस्ता, मगर लोग धनतेरस के अवसर पर इसे ही खरीदते हैं।

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