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पेशाब गेट विवाद: शंकर मिश्रा ने वेल्स फ़ार्गो पर किया केस, मामले की सुनवाई 14 को

Pee gate controversy: Shankar Mishra files case against Wells Fargo, hearing of the case on 14th

नई दिल्ली, 13 फरवरी । जनवरी 2023 में न्यूयॉर्क-दिल्ली एयर इंडिया की उड़ान में अपने साथी यात्री 70 वर्षीय महिला पर पेशाब करने के लिए कुख्यात शंकर मिश्रा ने अब अपने पूर्व नियोक्ता ‘वेल्स फ़ार्गो’ के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की है।

व‍िमान में हुई इस घटना के बाद कंपनी ने 35 वर्षीय मिश्रा को नौकरी से बर्खास्त कर दिया था।

दिल्ली हाई कोर्ट इस मामले पर बुधवार (14 फरवरी) को सुनवाई करेगा।

शंकर के पिता, श्यामनवल मिश्रा ने कहा कि उनका बेटा एक साल से अधिक समय से बेरोजगार है और अपने नियोक्ता वेल्स फार्गो द्वारा बिना किसी पूछताछ या तथ्य-जांच के बर्खास्‍त करने के बाद उसे 200 से अधिक जगहों से नौकरी से खारिज कर दिया गया।

कंपनी ने 5 जनवरी, 2023 को शंकर को ‘एडमिन लीव पेंडिंग इंक्वायरी’ पर रखा था और अगले ही दिन, 6 जनवरी, 2023 – वेल्स फ़ार्गो ने फैसला किया कि वे पूछताछ को आगे नहीं बढ़ाएंगे और एक प्रेस बयान जारी किया कि शंकर की सेवा समाप्त की जा रही है।

इस साल जनवरी में दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर अपने पुन: आवेदन में, मिश्रा ने तर्क दिया कि वेल्स फ़ार्गो या भारत या सभी निष्पक्ष देशों में कोई अन्य नियोक्ता किसी आरोपी कर्मचारी को निष्पक्ष जांच से इनकार नहीं कर सकता है।

मुकदमे में कहा गया है, “बिना पूछताछ, सबूत या तथ्यों के शंकर की बर्खास्तगी के बारे में धारणा बनाना और दोषी ठहराना, नियोक्ताओं की शक्तियों का दुरुपयोग है, और दुर्भावनापूर्ण इरादे के पूर्वाग्रह से ग्रस्त है।”

अदालत में पुनः आवेदन के अनुसार, वेल्स फ़ार्गो ईमेल में शंकर मिश्रा पर बिना पूछताछ के फैसला सुनाने की हद तक आरोप लगाया गया है, इसमें कहा गया है कि “संभवतः आपने वास्तव में ऐसा कृत्य किया है”।

6 जनवरी, 2023 की सेवा समाप्ति सूचना में कहा गया है, “6 जनवरी, 2023 को आपके व्यक्तिगत और कार्य ईमेल आईडी पर भेजे गए ईमेल में स्पष्ट रूप से उल्लिखित कारणों के लिए, आपका रोजगार तत्काल प्रभाव से ( 6 जनवरी 2023से) समाप्त किया जाता है।

मिश्रा ने दलील दी है कि“ 24 घंटे से भी कम समय में वेल्स फ़ार्गो इंटरनेशनल बैंक ने जांच शुरू करने से लेकर उसकी निंदा करते हुए एक सार्वजनिक बयान जारी करने और फिर जांच आगे न बढ़ाने का निर्णय लिया, प्राकृतिक न्याय और कानून के सिद्धांत का उल्‍लघंन है।”

मुकदमे में कहा गया, “समाप्ति प्रक्रिया स्वयं समानता और निष्पक्षता से रहित है, और प्राकृतिक न्याय, ‘सुनवाई नियम’, ‘पूर्वाग्रह नियम’ और एक तर्कसंगत निर्णय के खिलाफ है, जो स्पष्ट रूप से बहुराष्ट्रीय कंपनी की दुर्भावना को दर्शाता है।”

शंकर के पिता ने कहा, “यह सच है कि नियोक्ता पर गैरकानूनी ढंग से सेवा समाप्ति के लिए मुकदमा दायर किया गया है। मैं न्यायपालिका में विश्वास करता हूं और यह न्याय और शंकर के रोजगार के अधिकार की लड़ाई है।”

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